संयुक्त किसान मोर्चा का दमन विरोधी मार्च, दिया 7-सूत्री मांग पत्र
पटना (The Bihar Now डेस्क)| बुधवार को राजधानी पटना के गांधी मैदान से संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा दमन विरोधी विशाल मार्च निकाला गया. इस मार्च को पुलिस द्वारा जेपी गोलम्बर के पास रोक दिया गया. इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा का 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने गया लेकिन उनकी अनुपस्थिति में प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से मिलकर अपनी 7-सूत्री मांग पत्र सौंपा. इस प्रतिनिधिमंडल में प्रभुराज नारायण राव, राजेंद्र पटेल, रामबृक्ष राम, पुकार, इंद्रदेव राय, सुभाष यादव शामिल थे.
बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष प्रभुराज नारायण राव ने बताया कि इस मार्च में शामिल किसान चौसा (बक्सर) के किसानों पर की गई दमनात्मक कारवाइयों में शामिल पुलिसकर्मियों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे. साथ ही, भूमि अधिग्रहण कानून के खिलाफ जबरन जमीन के अधिग्रहण पर रोक लगाने, फर्जी मुकदमों में गिरफ्तार किए गए किसानों को रिहा करने, कैग की रिपोर्ट के आधार पर दोषी पदाधिकारियों को गिरफ्तार करने, मसौढ़ी के नोनिया बीघा गांव के किसानों का जमाबंदी के आधार पर बंदोवस्ती तथा मुआवजा देने आदि मांगों के लिए नारे बुलंद कर रहे थे.
सभा को बिहार राज्य किसान सभा के उपाध्यक्ष तथा ए आई के एस के संयुक्त सचिव अवधेश कुमार ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज किसानों का संकट गहराता जा रहा है. मोदी सरकार का आज भी वहीं कारपोरेट नीतियां जारी है. किसानों की मांगों को मानने के बदले उनके आंदोलन को कुचलने का काम शासक वर्ग द्वारा किया जा रहा है.
सभा की अध्यक्षता तीन सदस्यीय अध्यक्षमंडल ने किया, जिसमें अखिल भारतीय किसान महासभा के राज्य सचिव उमेश सिंह,बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव विनोद कुमार और जय किसान आंदोलन के ऋषि आनन्द शामिल थे.
अन्य वक्ताओं ने कहा कि किसानों की मांगों को लेकर प्रशासन का रवैया उदासीन रहा है. किसानों की जायज़ मांगों को स्वीकार करने के बजाय उनके विरोध को दबाने की निरंतर कोशिश की गई है. पिछले वर्ष, जनवरी में, किसानों को पुलिसिया दमन का सामना करना पड़ा था. 20 मार्च 2024 को एक क्रूर दमन की कार्रवाई में पुलिस और प्रशासन ने बक्सर जिला के चौसा प्रखंड के तीन गांव – बनारपुर, मोहन पूरवा, कोचाढ़ी में संध्या 5 बजे घरों में घुस कर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित अन्य किसानों के साथ बेरहमी से मार-पीट की गई. छोटे-छोटे बच्चे से लेकर 80 वर्ष की बुजुर्ग महिला तक के हाथ-पांव तोड़ डाले गए. गरीबों के घरों को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर भारी लूट पाट किया गया. इस क्रूरतम करवाई में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए.
सभा को अशोक बैठा,बालेश्वर प्रसाद यादव , उमेश शर्मा, रुदल राम, शंभूनाथ मेहता, फूलन यादव, अनिल तिवारी, मनीष कुमार, राधिका रमण प्रसाद, कृष्णदेव साह, मनोज कुमार, अरुण सिंह, महाबली सिंह यादव, चंद्रदीप सिंह, महानंद यादव आदि ने संबोधित किया.
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मुख्य सचिव को दिए गए 7-सूत्री मांग-पत्र में निम्न बातें उल्लिखित हैं:
- चौसा पुलिस दमन कांड के पूरे मामले की जांच एक उच्च स्तरीय न्यायिक समिति से कराई जाए. पुलिस दमन में सरीक बक्सर जिला के तमाम प्रशासनिक पदाधिकारियों को दंडित किया जाए.
- कैग की रिपोर्ट में बक्सर के जिन अधिकारियों पर उंगली उठाई गई है, उनको तत्काल निलंबित किया जाए.
- जिन किसानों पर फर्जी मामले दायर करके उन्हें जेल में बंद कर दिया गया है, उन्हें तुरंत रिहा किया जाए. किसानों के ऊपर दायर मामले वापस लिए जाए. पुलिस दमन के दौरान किसानों को हुई जान-माल की क्षति के लिए अविलम्ब समुचित मुआवजा दिया जाए.
- भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 के प्रावधानों का उल्लंघन कर कृषि भूमि के जबरन भूमि अधिग्रहण पर सख्ती से रोक लगाई जाए.
- बिहार में पुनर्वास और पुनर्स्थापन को लेकर कोई स्पष्ट नीति नहीं है, जिसके चलते इस मामले में हर जगह अनदेखी की जा रही है. इसलिए राज्य में पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन को लेकर स्पष्ट नीति बनायी जाए और उसे सख्ती से लागू किया जाए.
- मसौढ़ी के नोनिया बीघा में किसानों का खतियान के आधार पर जमीन का जमाबंदी कर उन्हें समुचित मुआवजे का भुगतान किया जाए.
- कैमूर पठार में व्याघ्र परियोजना के नाम पर आदिवासियों और वन-वासियों के विस्थापन पर रोक लगाई जाए.
(इनपुट – विज्ञप्ति)