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बिहार की राजनीति में अपना रंग दिखाने रिहा हो सकते हैं आनंद मोहन सिंह

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) में जल्द ही पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह (Ex MP Anand Mohan Singh) अपना रंग दिखाने आ सकते हैं. राजनीतिक हलकों में ये खबर आग की तेजी से फैल रही है कि आनंद मोहन सिंह को नीतीश सरकार गणतंत्र दिवस (Republic day) यानि 26 जनवरी को रिहा कर सकती है. बता दें, आनंद मोहन सिंह गोपालगंज के पूर्व डीएम जी कृष्णैय्या हत्याकांड (Former DM G Krishnaiah murder case) में दोषी हैं और वर्षों से जेल में बंद है.

आपको याद दिला दें, पिछले हफ्ते नीतीश कैबिनेट (Nitish cabinet) की हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि 26 जनवरी के मौके पर वैसे कैदियों की रिहाई की जाएगी जिनका बर्ताव जेल में रहते हुए सही रहा है. इस तरह नीतीश सरकार ने आनंद मोहन को रिहा करने के लिए ऐसा रास्ता बनाया है ताकि आने वाले चुनावों में उनका इस्तेमाल राजपूत वोटरों को रिझाने में किया जा सके. मतलब साफ है कि आनंद मोहन सिंह को इसी आधार पर जेल से रिहा किया जाएगा (Anand Mohan Singh will be released from jail) जो पहले ही अपनी सजा काट चुके हैं.

नीतीश के साथ मिटी दूरियां!

याद दिला दें, नीतीश कुमार और आनंद मोहन सिंह के बीच की दूरियां तब कम होती दिखी थी जब कुछ दिनों पहले आनंद मोहन की बेटी की सगाई के मौके पर नीतीश पहुंचे थे. नीतीश के साथ तेजस्वी यादव भी वहां मौजूद थे.

पप्पू यादव और आनंद गले मिले

अपनी बेटी की सगाई में आनंद मोहन पूरी सजा के दौरान पहली बार पेरौल पर बाहर आए थे. बाहर आने के बाद उन्होंने कहा था अस्थाई आजादी के साथ भी कुछ शर्ते हैं. इसे पालन करने में उनके समर्थक मदद करें. उनकी बेटी की सगाई के मौके पर महागठबंधन के साथ बीजेपी और दूसरे दलों के नेता भी पहुंचे थे. इस दौरान कभी उनके कट्टर दुश्मन कहे जाने वाले पप्पू यादव भी वहां पहुंचे थे. दोनों इस मौके पर एक-दूसरे से गले भी मिले थे.

तब रिहाई को बताया था असंभव

इससे पहले दिसंबर 2021 में बिहार सरकार ने साफ कर दिया था कि आनंद मोहन की रिहाई संभव नहीं है क्योंकि वो एक डीएम के हत्या के दोषी हैं, इसलिए उन्हें परिहार (Expiation) नहीं दिया जा सकता है. राज्य सरकार के उस समय के रुख से यह स्पष्ट था कि बाहुबली नेता को अभी में जेल में ही रहना होगा. दरअसल, बिहार विधानसभा में ललित यादव और चेतन आनंद ने  कई सदस्यों के साथ मिलकर इस मुद्दे पर सबका ध्यान आकर्षित करवाया था. सभी ने राज्य के विभिन्न जिलों में 14 वर्ष से ज्यादा की सजा काट चुके कैदियों को परिहार परिषद के द्वारा समय पर निर्णय नहीं लेने का मामला उठाया था.

महागठबंधन खेल सकती है आनंद मोहन कार्ड

बताते चलें, बेटी की सगाई के मौके पर आनंद मोहन सिंह के पेरौल पर बाहर रहने के दौरान सभी दलों के नेताओं ने उनसे मुलाकात की थी. सभी दलों को ऐसा लग रहा है कि उनकी रिहाई के लिए अभी अनुकूल समय है. वैसे भी वर्तमान महागठबंधन सरकार के घटक दल आरजेडी में आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद हैं. सवर्णों में राजपूत जाति के बड़े नेता हैं आनंद मोहन सिंह और उन्हें रिहा करके बीजेपी की कोर वोटर माने जाने वाली राजपूत वोटों को साधने की कोशिश कर सकती है महागठबंधन.