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पदयात्रा के साथ-साथ संगठन भी ले रहा स्वरूप

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| मौजूदा दौर की राजनीति में एक-एक वोट पर नजर रखने वाले दल क्या-क्या जतन करके अपने-अपने लिए एक-एक वोट का जुगाड़ करते हैं, कोशिश यह भी रहती है कि उनके जातिवाद, पिछड़ावाद और एक विशेष वर्ग के लिए हाय-हाय वाली राजनीतिक टेक्नालाजी अपडेट होती रहे. तुर्रा यह कि इसमें कोई बदलाव सम्भव ही नहीं इसलिए उनकी राजनीति फलती-फूलती रहेगी. पर अभीतक बिहार के पश्चिमी और पूर्वी चम्पारण के लगभग चालीस लाख लोग इससे इत्तफ़ाक नहीं रखते. संख्या बढ़ने का अनुमान यही संकेत देता है. यह दूसरी बात है कि बिहार के दो मुख्य क्षेत्रीय दल राजद (RJD) और जदयू (JDU) बदलाव की इस आहट से बेपरवाह अपने राजनीतिक वजूद का मुगालता पाले बैठे हैं.

यह मुगालता प्रदेश के राजनीतिक पंडितों में भी उतनी ही मात्रा में उपलब्ध है. बदलाव जैसी शब्दावली मौजूदा पालिटिकल टेक्नालाजी के लिए अनफिट है, यह मानकर चलने वालों के लिए प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) नाम का शख़्स वह कारक है जो सभी गणनाओं को उलट-पुलट कर देने का सामर्थ्य रखता है. एक रणनीतिकार से आगे अपनी राजनीति को तपा रहे प्रशांत किशोर की कोशिश कामयाबी को साथ लेकर चलती है.

इसकी शुरूआत हो चुकी है. प्रशांत किशोर का संदेश स्पष्ट है. पदयात्रा में हर चौथा या पांचवां दिन संकलन के लिए निर्धारित होता है. जहां-जहां से पदयात्रा गूजरी, वहां की समस्याओं का संकलन विकास की सम्भावनाओं के ब्लू प्रिंट का आधार बनेगी. 2000 से ज्यादा सूबे की सिविक बाडीज और 8500 के आसपास की पंचायतों के विकास का खाका तैयार होगा. यह कहा जा सकता है कि इस स्तर की तैयारी सूबे के स्थापित किसी भी राजनीतिक दल के पास नहीं है.

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इसी गरज से माइक्रो लेवल पर एक ढांचा तैयार किए जाने की भी तैयारी है. हर प्रखण्ड में एक जन सुराज नागरिक सहायता केन्द्र (Jan Suraaj Nagrik Help Center) की स्थापना पश्चिमी चम्पारण (West Champaran) में एक-दो महीने में तैयार कर ली जायेगी. यही काम पूर्वी चम्पारण सहित शेष 36 जिलों में भी होगा. हर जिले की पदयात्रा के अंत में सम्पन्न होने वाले अधिवेशन में इस पर मुहर लगेगी. इन केन्द्रों के कार्यरूप में आ जाने से संवादहीनता की स्थिति नहीं रहेगी जिससे जन सुराज (Jan Suraaj) की स्थापना का उद्देश्य पूर्ण करने में कालखण्ड के अवरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा.

विदित हो कि जन सुराज पदयात्रा का समापन वर्ष 2024 में होना है. उसके पूर्व इसका राजनीतिक अस्तित्व सामने आ जायेगा.