5 चुनावी मोर्चे से नीतीश की राह हुई आसान, ‘प्लूरल्स’ अभी शैशवाकाल में
पटना (निखिल – The Bihar Now डेस्क) | बिहार विधानसभा चुनाव अब बहुत करीब है. इस बार करीब 25 राजनीतिक दल ऐसे हैं जो इस चुनाव में जनता से वोट लेने को मुख्य रूप से भाग लेंगे. इन दलों ने आपसी गठबंधन भी बनाए हैं. सीट शेयरिंग को लेकर इन सभी पार्टियों और गठबंधनों में उलट फेर का दौर चालू है.
सभी दलों के बीच उलट-पलट की स्थिति के बाद अब बिहार में राजनीतिक दलों के 5 गठबंधन बन गए हैं. आइए जानते हैं किस गठबंधन में कौन-कौन राजनीतिक/नेता दल शामिल हैं –
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( National Democratic Alliance)- इस चुनावी गठबंधन में जदयू, बीजेपी और लोजपा के साथ पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) शामिल हैं. गौरतलब है, इस गठबंधन की ही सरकार बिहार में शासन कर रही है. इस गठबंधन में अभी सीट शेयरिंग पर मामला पूरी तरह फाइनल नहीं हुआ है.
महागठबंधन (Grand Alliance)– महागठबंधन आरजेडी, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (VIP), सीपीआई, सीपीआई (एम), भाकपा माले शामिल हैं. इस गठबंधन का नेतृत्व मुख्य रूप से आरजेडी कर रही है. महागठबंधन में भी अभी तक सीट शेयरिंग का मामला फाइनल नहीं हुआ है.
प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन (UDA) – जाप (Jan Adhikar Party) के अध्यक्ष पप्पू यादव द्वारा बनाए गए इस गठबंधन में चंद्रशेखर आजाद ‘रावण’ की आजाद समाज पार्टी, एमके फैजी की SDPI, वीएल मतंग की बहुजन मुक्ति पार्टी शामिल है. हो सकता है जल्द ही इस गठबंधन में प्रकाश अंबेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (VBA) भी शामिल हो जाए. इस गठबंधन में सभी दलों के साथ हो जाने के बाद ही उनके बीच यहां सीट शेयरिंग फाइनल होगा.
आज मंगलवार को रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने एक नए गठबंधन ऐलान किया है जिसमें मायावती की बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) और जनवादी पार्टी सोशलिस्ट पार्टी एक साथ आए हैं. सीट शेयरिंग होना बाकी है इस गठबंधन में.
बिहार में एक और चुनावी गठबंधन बनाया गया है जिसके कर्णधार पूर्व केन्द्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा है. उनके इस चुनावी गठबंधन में पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, पूर्व बिहार मंत्री नरेंद्र सिंह और रेनू कुशवाहा, पूर्व सांसद अरुण कुमार और नागमणि जैसे नेता शामिल हैं.
प्लूरल्स (Plurals) की धमक
इसके अलावे भी एक नया चेहरा उभर कर सामने आया है और वो है जदयू के पूर्व एमएलसी की पुत्री पुष्पम प्रिया चौधरी. पुष्पम की पार्टी, प्लूरल्स (Plurals) पहली बार किसी चुनावी अखाड़े में उतरेगी. भले ही यह पार्टी ग्राउन्ड लेवल पर मेहनत कर रही है और अच्छे, शिक्षित और संवेदनशील लोगों को बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर उतारने का प्लान किया हो, मगर अभी यह पार्टी अपने शैशवाकाल में है. इसलिए इस बार यह पार्टी कुछ विशेष करने नहीं जा रही है. फिर भी, आने वाले चुनावों में प्लूरल्स अपना चमत्कार दिखा दे, तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं है.
भले ही सभी राजनीतिक दल अपने फायदे के लिए चुनावी मोर्चा तैयार कर लिए हों, परंतु जनता के पास भी विकल्प का अभाव सीधे तौर पर हो जाता है. इस अभाव में उन्हें एक ही चेहरा बड़ा नजर आता है, नीतीश कुमार. लोग तेजस्वी यादव को अभी एक सफल राजनीतिज्ञ के रूप में अपरिपक्व समझ रहे हैं. कांग्रेस में कोई महत्वपूर्ण चेहरा नहीं है. इसके अलावा किसी भी चुनावी मोर्चे में कोई भी ऐसा चेहरा नजर नहीं आता जिसमें जनता सफल नेतृत्व की झलक देख सके. इसलिए इन परिस्थितियों में नीतीश कुमार की राह काफी आसान हो गई है.