कौन हैं पटना विश्वविद्यालय के सीनेट की पहली नामांकित ट्रांसजेंडर सदस्य रेशमा प्रसाद
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क / विशेष आलेख)| पटना के गोरिया टोली मुहल्ले (Goria Toli in Patna) की एक सामाजिक कार्यकर्ता रेशमा प्रसाद (Reshma Prasad) ने पिछले 6 दिसंबर को पटना विश्वविद्यालय में सीनेट सदस्य के रूप में काम करने वाले पहले ट्रांसजेंडर व्यक्ति के रूप में नामांकित होने का इतिहास रच दिया.
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) ने पटना विश्वविद्यालय में सीनेट सदस्य के रूप में रेशमा प्रसाद को तीन साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त करने की घोषणा की. रेशमा ने पिछले कई वर्षों से ट्रांसजेंडर समुदाय की शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को बढ़ाने के लिए अपने संगठन ‘दोस्ताना सफ़र’ (Dostana Safar) के माध्यम से खुद को समर्पित किया है.
रेशमा ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा, “यह आपको बहुत खुशी और संतुष्टि देता है जब कोई किसी समुदाय की भलाई के लिए आपके काम और सेवाओं को पहचानता है. लेकिन कोई नहीं जानता कि इतने सालों में आपकी यात्रा कितनी कष्ट भरी रही है.”
उन्होंने कहा, “देश के शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों में से एक के रूप में प्रसिद्ध पटना विश्वविद्यालय में सीनेट सदस्य के रूप में नियुक्त होना प्रसाद के लिए बेहद गर्व की बात है.”
रेशमा के सीनेट सदस्य के रूप में नामांकित होने पर राजभवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीनेटर के रूप में रेशमा के नामांकन का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय की सामाजिक और शैक्षिक उन्नति को बढ़ावा देना है.
रेशमा के अटूट समर्पण से प्रेरित होकर केंद्र सरकार ने बेघर ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आश्रय प्रदान करने के लिए पटना के बाहरी इलाके, दानापुर के पास खगौल में ‘गरिमा गृह’ की स्थापना की.
रेशमा प्रसाद, जिन्होंने पीएचडी भी किया है, ने पटना विश्वविद्यालय में एक सीनेटर के रूप में यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की कि ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को शैक्षणिक प्रवेश में कोई बाधा न आए, न ही उनकी सुरक्षा के लिए उत्पीड़न या खतरों का सामना करना पड़े.
उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आवश्यक नीतिगत सुधारों का आकलन करने, उनकी साक्षरता दर बढ़ाने और अपने सदस्यों के बीच प्रासंगिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के अपने इरादे पर जोर दिया.
रेशमा ने बताया कि ‘दोस्ताना सफर’ ट्रांसजेंडर समुदाय के विभिन्न मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए ‘प्राइड परेड’ (Pride Parades) का भी आयोजन करता है. इस वर्ष प्राइड परेड में सामाजिक सुरक्षा उपाय के रूप में ट्रांसजेंडरों के लिए मासिक पेंशन की मांग की गई.
उन्होंने कहा, “ट्रांसजेंडर समुदाय का जश्न मनाने और उनका सम्मान करने के लिए कई राज्यों में ‘प्राइड परेड’ (Pride Parades) का आयोजन किया जाता है. ट्रांसजेंडर शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से स्वस्थ होते हैं. एकमात्र समस्या यह है कि इस लिंग की कोई सामाजिक स्वीकार्यता नहीं है.”
बता दें, रेशमा प्रसाद कुछ महीने पहले तब सुर्खियों में आई जब ‘दोस्ताना सफर’ ने पटना में ‘सतरंगी दोस्ताना रेस्ट्रो’ (Satrangi Dostana Restro) नाम से एक रेस्तरां खोला. एलजीबीटीक्यूएआई समुदाय (LGBTQAI community) के कुल 20 लोग इस रेस्तरां में प्रबंधक, शेफ, सफाईकर्मी और वेटर जैसी विभिन्न क्षमताओं में काम कर रहे हैं.
‘सतरंगी दोस्ताना रेस्ट्रो’ का उद्घाटन इस साल 23 जून को अमेरिकी वाणिज्य दूतावास-जनरल मेलिंडा पावेक (US consulate-general Melinda Pavek) ने पटना की मेयर सीता साहू (Patna Mayor Sita Shahu) के साथ किया था.
रेशमा ने बताया, “ट्रांसजेंडर लोगों को समाज द्वारा हेय दृष्टि से देखा जाता है, इसलिए दोस्ताना सफर ने ट्रांसजेंडर लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए रेस्तरां स्थापित करने का फैसला किया ताकि वे भी सम्मान के साथ समाज में अपना जीवन जी सकें.”
नेशनल काउंसिल फॉर ट्रांसजेंडर पर्सन्स (National Council for Transgender Persons) के सदस्य प्रसाद ने बिहार सरकार (Bihar government) द्वारा किए गए जाति-आधारित सर्वेक्षण (caste-based survey) के दौरान कई पूछताछ की. सर्वेक्षण से पता चला कि बिहार में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की आबादी 40,000 से कुछ अधिक है.
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए कल्याणकारी पहलों पर चर्चा करते हुए रेशमा प्रसाद ने कई नगर निगमों द्वारा विभिन्न जिलों में 1,500 से अधिक समर्पित सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण की योजनाओं पर प्रकाश डाला.
प्रसाद ने कहा कि केंद्र प्रायोजित इस परियोजना का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है, जिन्हें अक्सर पुरुषों या महिलाओं के लिए चिन्हित शौचालयों का उपयोग करते समय विरोधों का सामना करना पड़ता है. इस पहल का विस्तार धीरे-धीरे अन्य सभी राज्यों तक होगा.