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यह कैसी पॉलिटिक्स है बंधु? इस बाजीगरी से बिहार की प्रतिष्ठा गिरी है !

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)I भाजपा का शीर्ष नेतृत्व नीतीश कुमार को अपने निकट पाकर भले ही खुश हो लेकिन बिहार के पार्टी कार्यकर्ता हतप्रभ हैं. कल तक जिसके खिलाफ वे झंडा उठाए घूम रहे थे, अब उसकी जयकार लगाने को कहा जा रहा है. पार्टी कार्यकर्ता खुद को ठगा-सा महसूस कर रहे हैं. लेकिन इसकी परवाह किसे है?

यह ठीक है कि सत्ता हासिल करना राजनीतिक दलों का मूलभूत उद्देश्य होता है, लेकिन उसका भी कुछ प्रोटोकॉल होता है. जनता का विश्वास हासिल कर सत्ता में आना और जनता के कल्याण के लिए सत्ता का इस्तेमाल करना लोकतंत्र है.

धतकर्म के माहिर खिलाड़ी नीतीश

बिहार में जो हो रहा है वह लोकतंत्र नहीं ‘धतकर्म’ है. नीतीश इस धतकर्म के माहिर खिलाड़ी हैं. अपनी कुर्सी बचाने के लिए बारंबार नट की तरह सत्ता की डोर पर कलाबाजी दिखाना और गुलाटी मारना उनका स्वभाव बन गया है.

उनसे पूछा जाना चाहिए कि भाजपा में अचानक ऐसी क्या बुराई आ गई थी कि उसे छोड़ कर राजद के साथ चले गए? फिर अचानक भाजपा में उन्हें क्या अच्छा दिखा कि फिर उसके साथ आ रहे हैं? भाजपा तो जो कल थी वही आज भी है! फिर पलटने की वजह क्या रही?

इसी तरह राजद में उन्हें कौन का सतगुण दिखा कि उसके संगी हो गए, फिर अचानक क्या दुर्गुण दिखा की कन्नी काट लिए? यह कौन सा खेल है नीतीश जी?

कल तक नीतीश कुमार में दुनिया का हर दुर्गुण देखनेवाली, उन्हें बीमार और मानसिक रोगी बतानेवाली भाजपा को भी यह बताना चाहिए कि रातोंरात नीतीश जी में उन्हें क्या सुधार दिखा कि पुनः उनके आज्ञाकारी सहयोगी बनने चल पड़े हैं?

वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी

जहानाबाद के उस कार्यकर्ता की आत्मा को भाजपा नेता क्या मुंह दिखाएंगे, जिसकी मौत पटना में भाजपा के प्रदर्शन में पुलिस की पिटाई से मौत हुई थी? उस लाठी चार्ज को जदयू और राजद जायज ठहरा रहे थे. भाजपा अब किस मुंह से उसकी आलोचना करेगी? भाजपा नेता कार्यकर्ताओं को अपना मुख्यमंत्री और अपनी सरकार का जो सपना दिखाते आ रहे थे, उस सपने का क्या होगा?

क्या यह माना जाए कि कार्यकर्ताओं को गुमराह किया जा रहा था? भाजपा, जदयू या राजद में क्या अंतर है? इस बाजीगरी से बिहार की प्रतिष्ठा गिरी है. नेताओं की विश्वसनीयता पेंदे में चली गई है.

ऐसी पलटीमार राजनीति से बिहार का कोई भला होनेवाला नहीं है. हां, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर लंबे समय तक बने रहने का रिकार्ड जरूर आपके नाम हो जाएगा.

(वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण बागी के फेसबुक वाल से)