सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से जाति सर्वेक्षण विवरण सार्वजनिक करने को कहा
नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को बिहार सरकार (Bihar government) से कहा कि वह उन लोगों की सहायता के लिए जाति सर्वेक्षण डेटा (caste survey data) का विवरण सार्वजनिक डोमेन में रखे, जो इसके आधार पर राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए नीतियों को चुनौती देना चाहते हैं.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता (bench of Justices Sanjiv Khanna and Dipankar Datta) की पीठ ने कहा कि वह बिहार जाति सर्वेक्षण (Bihar caste survey) में डेटा के विश्लेषण को जनता के लिए उपलब्ध नहीं कराए जाने को लेकर चिंतित है, क्योंकि अगर कोई किसी डेटा विशेष निष्कर्ष को चुनौती देने को तैयार है, तो उसे ऐसा करने में सक्षम होना चाहिए.
जस्टिस खन्ना (Justice Sanjiv Khanna) ने कहा, “मैं डेटा के ब्रेकअप की उपलब्धता को लेकर ज्यादा चिंतित हूं. सरकार किस हद तक डेटा को रोक सकती है? आप देखिए, डेटा का पूरा ब्रेकअप सार्वजनिक डोमेन में होना चाहिए ताकि कोई भी इससे लिए गए निष्कर्ष को चुनौती दे सके. जब तक यह सार्वजनिक डोमेन में नहीं होगा, वे इसे चुनौती नहीं दे सकते हैं.”
शीर्ष अदालत ने 2 अगस्त, 2023 के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को आगामी 29 जनवरी को सुनवाई के लिए रखा है, जिसमें जाति-आधारित सर्वेक्षण करने के बिहार सरकार के फैसले को बरकरार रखा गया था.
हालांकि, शीर्ष अदालत ने उन याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम राहत देने से भी इनकार कर दिया जिन्होंने जाति सर्वेक्षण और पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है.
गैर सरकारी संगठन ‘एक सोच एक प्रयास’ (NGO ‘Ek Soch Ek Prayas’) के नेतृत्व वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राजू रामचंद्रन (Senior advocate Raju Ramachandaran) ने कहा कि बिहार सरकार पहले ही आगे बढ़ चुकी है और राज्य में आरक्षण को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया है.
उन्होंने अदालत से कहा, “चूंकि सर्वेक्षण डेटा सामने आ गया है, अधिकारियों ने इसे अंतरिम रूप से लागू करना शुरू कर दिया है और एससी, एसटी, अन्य पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए आरक्षण को मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर कुल 75 प्रतिशत कर दिया है.”
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने 1 अगस्त, 2023 के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बिहार सरकार को नोटिस जारी किया था, जिसमें बिहार में जाति सर्वेक्षण को मंजूरी दी गई थी. बताते चलें, 2 अक्टूबर, 2023 को नीतीश कुमार सरकार ने जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष जारी किए थे जिससे यह ज्ञात हुआ था कि ओबीसी और ईबीसी राज्य की आबादी का 63 प्रतिशत हिस्सा हैं.