राज्य का विकास प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर – सर्वेक्षण रिपोर्ट

Last Updated on 1 year by Nikhil

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| 16वीं बिहार आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट (Economic Survey Report – 2021-22) ने राज्य के विकास प्रदर्शन को राष्ट्रीय औसत से “बेहतर” (Bihar’s growth performance better than national average) करार दिया है. यह बात उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद (Deputy Chief Minister Tarkishore Prasad), जिनके पास वित्त विभाग भी है, ने बजट से पहले शुक्रवार को विधानसभा के पटल पर 16वां राज्य ईएसआर (ESR) पेश करते हुए कही.

इसमें उल्लेख किया गया है कि राज्य में पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के दौरान कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2.1 प्रतिशत की गति से वृद्धि हुई है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “COVID-19 के कारण (COVID-19 pandemic) हुए लॉकडाउन के प्रभाव के कारण बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product) में 2020-21 में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई. इसके बावजूद यह प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर है, क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था वास्तव में 2020-21 के दौरान 7.2 प्रतिशत घट

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-12 से 2020-21 की अवधि के दौरान बिहार और भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना करने पर यह पाया गया है कि वे लगभग समान दर से बढ़े हैं. रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा कीमतों पर, 2020-21 में बिहार में प्रति व्यक्ति आय (per capita income) 50,555 रुपये थी, जबकि भारत के लिए यह 86,659 रुपये थी.

यह भी पढ़ें| दारोगा तक नहीं मानते बात, छोड़ देंगे मंत्री पद – मुकेश सहनी

पिछले पांच वर्षों (2016-17 से 2020-21) के दौरान बिहार में प्राथमिक क्षेत्र (primary sector) में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि, द्वितीयक क्षेत्र (secondary sector) में 4.8 प्रतिशत और तृतीयक क्षेत्र (tertiary sector) में 8.5 प्रतिशत की उच्चतम दर से वृद्धि हुई थी.

क्या हैं प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक सेक्टर

बता दें, प्राथमिक क्षेत्र में वे सभी आर्थिक गतिविधियाँ शामिल हैं जो सीधे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करती हैं – खनन, वानिकी, मछली पकड़ने आदि. जबकि द्वितीयक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों में मूल्य जोड़ने के लिए विनिर्माण और प्रसंस्करण शामिल है, अर्थात कपास से कपड़े का बनना. वहीं, तृतीयक क्षेत्र प्राथमिक और माध्यमिक क्षेत्रों, जैसे परिवहन या अन्य सेवाओं के विकास में मदद करता है.

राज्य की आर्थिक स्थिति के संबंध में ESR का कहना है कि COVID-19 महामारी के कारण वर्ष 2020-21 राज्य के लिए एक कठिन साल था. रिपोर्ट में कहा गया है, “राज्य सरकार ने अपने वित्तीय संसाधनों के सर्वोत्तम संभव उपयोग के साथ चुनौतियों का जवाब दिया. 2020-21 में राज्य सरकार का कुल व्यय पिछले वर्ष की तुलना में 13.4 प्रतिशत बढ़कर 1,65,696 करोड़ रुपये हो गया, जिसमें से रु 26,203 करोड़ पूंजीगत व्यय था और 1,39,493 करोड़ रुपये राजस्व व्यय था”.

बिहार की अर्थव्यवस्था में कृषि का स्थान बहुत महत्वपूर्ण – रिपोर्ट

रिपोर्ट में कहा गया है, बिहार में औद्योगिक विकास (industrial development in Bihar) हाल के वर्षों में आशाजनक रहा है. बिहार में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में वृद्धि स्थिर रही है. सकल फसल क्षेत्र 2019-20 में 79.97 लाख हेक्टेयर था, जिसमें फसल सघनता 144 प्रतिशत थी. पिछले पांच वर्षों के दौरान, कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में 2.1 प्रतिशत की गति से वृद्धि हुई है. वहीं पशुधन और मत्स्य पालन में क्रमशः 10 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की गति से बढ़ोत्तरी हुई है.

2011 में बिहार में शहरीकरण का स्तर था बहुत कम

रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य सरकार द्वारा शहरी केंद्र को फिर से परिभाषित करने के निर्णय के बाद, बिहार में शहरीकरण (urbanization in Bihar) का वर्तमान स्तर 15.3 प्रतिशत है. शहरीकरण का यह विस्तार एक सराहनीय विस्तार का संकेत देता है.

रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में ऊर्जा की प्रति व्यक्ति खपत (per capita consumption of energy) पिछले छह वर्षों में 72.4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 350 kwh पहुँच गई है. 2014 में यह 15 kwh थी जो 2020-21 में 350 kwh पहुंच गई.