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राज्यस्तरीय आम महोत्सव का हुआ उद्घाटन, 600 से अधिक किसान और उद्यमी ले रहे भाग

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| पटना के गांधी मैदान के पास स्थित ज्ञान भवन (GYan Bhawan, Patna) में 17-18 जून को चलाने वाले दो-दिवसीय राज्यस्तरीय आम महोत्सव-सह-प्रतियोगिता कार्यक्रम (State Level Mango Festival-cum-Competition Program) का उद्घाटन किया गया. इसका उद्घाटन कृषि विभाग के सचिव संजय कुमार अग्रवान (Sanjay Kumar Agrawal, IAS) ने किया. इस कार्यक्रम में लगभग 600 किसान व उद्यमी भाग ले रहे हैं.

बिहार राज्य कृषि विभाग (Bihar State Agriculture Department) द्वारा आयोजित इस आम महोत्सव के कारण फलों के राजा आम के अलग-अलग क़िस्मों की खुशबू से पूरा परिसर सुगंधित हो उठा है. विभाग द्वारा आम के प्रति किसानों को जागरूक करने के साथ उनके बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और फलों के भंडारण प्रसंस्करण, बाजार आदि से संबंधित नई-नई तकनीक की जानकारी पहुंचाने के उद्देश्य से आम महोत्सव के साथ प्रतियोगिता 2023 का आयोजन किया गया है.

उद्घाटन के अवसर पर सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि इस अद्भुत आम महोत्सव का लोगों को इंतजार रहता है. यह समय आम के लिए खास हो जाता है. इस महोत्सव से शहरी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आम के संबंध में पता चलता है कि इसके कितने प्रभेद होते हैं. आम के उत्पादों को बढ़ावा देना हमारे लिए चुनौती है. आम के भण्डारण पर काम करना है, ताकि 2 से 3 महीने बाद तक इसका उपयोग किया जा सके.

उन्होंने कहा कि आम का पैकेजिंग कर हम कुरियर के माध्यम से चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई आदि शहरों में पहुँचाया जा सकता है. पुराने बगीचों को संरक्षित करने की जरूरत है, बाग बचाओ अभियान इसी कड़ी में चलाया जा रहा है. राज्य के कृषि विश्वविद्यालयों एवं सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में इसके लिए काम किया जा रहा है. पौधा से लेकर इसके उत्पाद तक पर विपणन, परिवहन, भण्डारण तथा प्रसंस्करण पर एक साथ काम करना होगा, तभी इस तरह के महोत्सव की सार्थकता होगी.

सचिव ने इस महोत्सव में उपस्थित किसानों के समस्याओं/सुझावों को सचिव ने सुना एवं उनके निराकरण के लिए उन्हें आश्वासन दिया.

आम महोत्सव का उद्देश्य

आम महोत्सव का आयोजन का मुख्य उद्देश्य राज्य में उत्पादित विशिष्ट प्रजाति के साथ क्षेत्रीय खास प्रजाति से लोगों को रूबरू कराना एवं बाजार की सम्भावना को तलाशना है. आम उत्पादक कृषकों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ाने एवं फलों के भंडारण, प्रसंस्करण, बाजार आदि से संबंधित नयी-नयी तकनीकी की जानकारी कृषकों तक पहुँचाने के उद्देश्य से आम महोत्सव का आयोजन किया गया है. स्वाद एवं रंगत की इस महोत्सव का आनंद आम जन दो दिनों तक ले पायेंगे. राज्य में आम के प्रमुख प्रजाति के साथ विभिन्न क्षेत्रों में कुछ खास प्रजाति के आम उत्पादित होते हैं जैसे जर्दालू आम का उत्पादन भागलपुर, जर्दा पश्चिमी चम्पारण, कृष्णा भोग मधुबनी, कलकतिया दरभंगा, बम्बईया सीतामढ़ी, गुलाब खास सुपौल, मालदह मधेपुरा एवं कटिहार, दीघा मालदह पटना, चैसा बक्सर, बथुआ समस्तीपुर तथा चूरम्बा मालदह मुंगेर जिला में होता है.

बिहार राज्य में कुल 3.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में फलों की खेती की जाती है, जिसका उत्पादन क्षेत्र 45.09 लाख मेट्रिक टन है, जिसमें आम, केला, लीची, पपीता प्रमुख हैं. फलों में आम का 1.60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 15.50 लाख टन का उत्पादन होता है.

इस आम महोत्सव में राज्य के विभिन्न जिलों के 605 आम उत्पादकों एवं उद्यमियों द्वारा आम एवं इसके प्रसंस्कृत उत्पाद के 3,000 वेराइटी का प्रदर्शन किया गया है. प्रदर्शनी आम के मध्यावधि किस्में मालदह, दशहरी, कृष्णभोग, भरतभोग, हुस्न-ए-आरा, लाल आम, फजली, सुकुल, सिपिया, चैसा आदि प्रजाति के साथ कुछ विशिष्ट संकर किस्में एवं बीजू आम से सजी हुई है. आम के प्रसंस्कृत उत्पादों में कच्चा आम स्क्वैश, आम का पन्ना, जेली, जैम, पका आम का स्क्वैश, चटनी, अमावट, अचार आदि प्रदर्शित किया गया है.

इस महोत्सव में बच्चों के मनोरंजन के लिए ”आम खाओ प्रतियोगिता“, ”आम फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता“ का आयोजन किया गया है. वहीं कलाकारों के लिए ”आम नक्काशी प्रतियोगिता“ का भी आयोजन किया गया है.

इस प्रदर्शनी में बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के द्वारा विशिष्ट प्रजाति के आमों का प्रदर्शन किया गया है. बिहार में उत्पादित आम के विभिन्न प्रजातियों में भागलपुर के जर्दालू आम को जीआई टैग प्रदान किया गया है, जो इस प्रभेद के लिए हमारी भौगोलिक अनुकूल परिस्थितियों को दर्शाती है. आम के जर्दालू प्रजाति के उत्पाद कृषकों को जी॰आई॰ टैग के महत्व को फलों के मूल्यवर्धन में उपयोग करना होगा.

प्रतियोगिता के आठ वर्गों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले 33 कृषकों को प्रथम, 33 कृषकों को द्वितीय एवं 29 कृषकों को तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमशः 5,000 रूपये, 4,000 रूपये एवं 3,000 रूपये के साथ प्रशस्ति-पत्र प्रदान की जायेगी. इसके साथ ही, राज्य के एक किसान को सभी वर्गों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले कृषकों को 10,000 रूपये की विशिष्ट पुरस्कार एवं आम शिरोमणि की उपाधि भी प्रदान की जायेगी.

इस महोत्सव में आम उत्पादक कृषकों के आमों की बिक्री तथा आम निर्मित विभिन्न खाद्य सामग्री का प्रदर्शनी एवं बिक्री स्टॉल से किया जा रहा है. इस महोत्सव में क्रेता-विक्रेता सम्मेलन का आयोजन किया गया है, जिसमें करीब 15 बड़े-बड़े निवेशक/निर्यातक जैसे भाग ले रहे हैं.

इस सम्मेलन के माध्यम से कृषकों के उत्पाद को दूरस्थ बाजार भेजने एवं निर्यात बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके साथ ही, ऑनलाइन बिजनेस को प्रोत्साहित करने के लिए बिग बास्केट, जियो मार्ट, देहात, पीएएएफ, ग्लोबल, कमला इन्टरनेशनल, सुमन वाटिका, रिलायन्स आदि को आमंत्रित किया गया है.

साथ में, इंडियन इन्स्टिच्यूट ऑफ हार्टिकल्चर रिसर्च, बैंगलोर, सेन्ट्रल इन्स्टिच्यूट ऑफ सब ट्रॉपिकाल होर्टिकल्चर, लखनऊ, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर एवं डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के द्वारा आम के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं भंडारण के संबंध में नयी-नयी तकनीकी की जानकारी प्रदान किया जा रहा है. एपीडा के उप महाप्रबंधक, वाराणसी, डॉ सी बी सिंह, बिहार द्वारा आम के निर्यात की संभावना एवं आवश्यक प्रोटोकॉल के संबंध में जानकारी दिया गया.

बिहार की कृषि अर्थव्यवस्था में बागवानी की भूमिका अहम् है. राज्य के प्रमुख फल आम, लीची एवं केला बागवानी के फल सेक्टर को मजबूती प्रदान करता है.

सचिव ने कहा कि आम फल का हमारे जीवन व इतिहास से गहरा संबंध रहा है. आम भारत का राष्ट्रीय फल है. राज्य के दरभंगा जिला का लाखबाग, जहाँ एक लाख पेड़ों का आम का बाग लगाया गया था, जो कालांतर में लाल बाग के नाम से जाना जाता है. बिहार की मिट्टी एवं जलवायु विभिन्न प्रकार के फलों के उत्पादन के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है. आज बिहार के कृषक फलों में उच्च मूल्य वाले फल जैसे सेब, स्ट्राबेरी, ड्रैगन फ्रूट आदि की खेती कर रहे और अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. आम फसल आम जनों के पोषण सुरक्षा, पारिवारिक आमदनी के स्रोत के साथ व्यापार का एक प्रमुख उत्पाद है. बिहार सरकार के द्वारा कृषकों के हितार्थ फलों के नये बगीचा की स्थापना से लेकर प्रसंस्करण तथा बाजार तक सहायतानुदान दी जा रही है. कृषक बंधु इसका लाभ उठावें. नये बगीचे की स्थापना के साथ आज आवश्यक है कि कृषक पुराने बागों का भी जीर्णोंद्धार करें एवं बगीचे को स्वस्थ एवं उपजाऊ बनाये.

प्रमुख फलों के साथ हमारे पारंपरिक फल बेल, जामुन, कटहल, आँवला, बेर आदि विलुप्त होती जा रही है. इसे संरक्षित करने एवं बागों को बढ़ाने की आवश्यकता है.

इस अवसर पर कृषि निदेशक डॉ आलोक रंजन घोष, निदेशक उद्यान अभिषेक कुमार, पद्मश्री राजकुमारी देवी उर्फ किसान चाची, संयुक्त सचिव शैलेन्द्र कुमार, संयुक्त निदेशक उद्यान राधा रमण, उप निदेशक उद्यान देवनारायण महतो, नितेश कुमार, राकेश कुमार, कृषि वैज्ञानिक सहित विभागीय पदाधिकारी एवं कर्मचारीगण सहित बड़ी संख्या में आम उत्पादक किसान/उद्यमी तथा अन्य लोग उपस्थित थे.