पुरानी राह पर नई सम्भावनाओं की तलाश कर रहा राजद
पटना (वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) के मीडिया और विपक्ष को धमकी का सिलसिला राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज झा (RJD National Spokesperson Manoj Jha) ने आगे बढ़ाया है.
राजनीति और अपराध की साठगांठ कानून के चाबुक से लगातार ढीली होते देख, अब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करने की चेतावनी मनोज झा ने दी है. गरीब-गुरबों के धनकुबेर छह रहनुमाओंके यहां पड़े सीबीआई छापे के बाद, राजद के मुताबिक, अंतिम अस्त्र का प्रयोग ही शेष है.
डैमेज कंट्रोल एक्सरसाइज
दरअसल, तेजस्वी यादव की धमकी कुछ ज्यादा हो गई थी. डैमेज कंट्रोल एक्सरसाइज के तहत राष्ट्रीय प्रवक्ता ने धमकी को चेतावनी बताया और जांच एजेंसियों को रेड डालने से परहेज का मशविरा दिया. चेतावनी यह है कि यदि जांच एजेंसी रेड मारेगी तो राजद कार्यकर्ता उन्हें रोकेंगे.
पार्टी के वोट-बैंक से हैं डराते
मनोज झा राजद के थिंक टैंक (RJD think tank) माने जाते हैं. पार्टी में साख बड़ी है. राष्ट्रीय स्तर पर राजद की भूमिका को प्रभावशाली तरीके से रखने की यदा-कदा कोशिश भी करते रहते हैं. पर बात जब घोटाले की आती है तो पार्टी के वोट-बैंक से डराने लगते हैं. यानी डरा कर रखना राजद की वह पुरानी राह है जिसपर नई सम्भावना के तहत अब वह अपराध के बजाय वोट-बैंक का डर दिखाना चाहता है.
इसलिए विचारणीय बिन्दु यह है कि जब किसी घोटाले के सिलसिले में जांच एजेंसी किसी राजद नेता के यहां छापा मारेगी और राजद कार्यकर्ता उसका विरोध करें तो वह सरकारी काम में बाधा पहुंचाना माना जायेगा या नहीं ?
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इस बिन्दु पर मनोज झा ने कुछ कहा नहीं है. उनका मतलब सिर्फ इतना है कि रेड के खिलाफ राजद कार्यकर्ताओं का आह्वान किये जाने की सम्भावना से इंकार नहीं है.
1458 लोगों को रेलवे मे नौकरी !!
वैसे राजद की इस तिलमिलाहट को लालू-तेजस्वी के बेहद करीबी 6 लोगों के यहां पिछले 24 अगस्त को पड़ी सीबीआई रेड से ही जोड़ कर देखा जाना चाहिए. क्योंकि जानकारी यह भी आ रही है कि लालू के यहां पड़ी पिछली रेड में सीबीआई ने एक हार्ड डिस्क जब्त किया जिससे यह खुलासा हुआ कि जमीन के बदले 1458 लोगों को रेलवे मे नौकरी दी गई और तेजस्वी यादव ने ही इन 1458 लोगों की सूची तैयार की थी.
तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई का शिकंजा मजबूत होता जा रहा है इसलिए वह बौखलाए हुए हैं.
(उपरोक्त लेखक के निजी विचार हैं)