प्रमुख समाजसेवी अमृतपाल सिंह का निधन, मरणोपरांत किया नेत्रदान
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राजधानी पटना में शुक्रवार सुबह प्रमुख समाजसेवी अमृतपाल सिंह (Amrit Pal Singh) का निधन हो गया. वे 90 वर्ष के थे. वे पिछले एक महीने से बीमार चल रहे थे. उनका अंतिम संस्कार गुलबी घाट (Gulbi Ghat Patna) पर किया गया. इससे पहले, उनकी इच्छा के मुताबिक स्व अमृतपाल सिंह जी के नेत्रों का मरणोपरांत दान कर दिया गया. स्व अमृतपाल सिंह की आंखों से 2 दृष्टिहीनों को दृष्टि मिल सकेगी.
बादशाह इंडस्ट्रीज़ (Badshah Industries) के फाउंडर और सामाजिक कार्यक्रमों में सक्रिय रहने वाले अमृतपाल सिंह जी की इच्छा थी कि मरणोपरांत उनके नेत्रों का दान कर दिया जाए, ताकि मर कर भी उनकी आंखें दुनिया देख सकें. उनकी इस इच्छा को देखते हुए उनके पुत्र व दधीचि देहदान समिति (Dadhichi Dehdan Samiti) के वरीय सदस्य और बादशाह इंडस्ट्रीज़ के मैनेजिंग डायरेक्टर सरदार जगजीवन सिंह (Sardar Jag Jeevan Singh of Badshah Industries) ने नेत्रदान का संकल्प पूरा कराकर मिसाल कायम की है.
स्व अमृतपाल सिंह जी की नेत्रदान की इच्छा के अनुसार, उनके बेटे जगजीवन सिंह और परिवार ने आईजीआईएमएस (IGIMS, Patna) के आई-बैंक (Eye Bank) से संपर्क साधा. उन्होंने नेत्र रोग विभाग के एचओडी (HOD) डॉ विभूति सिन्हा तथा आई-बैंक की टीम से संपर्क किया. आई-बैंक के प्रमुख डॉ. नीलेश कुमार के निर्देश पर डॉ. राजीव, मारुति नंदन, दीपक ने कॉर्निया लेने की प्रक्रिया को पूरा किया. कॉर्निया निकालने की प्रक्रिया स्व अमृतपाल सिंह के राजधानी पटना के पंजाबी कॉलोनी, चितकोहरा स्थित आवास पर सम्पन्न हुई.
अंतिम संस्कार के समय गुलबी घाट पर बादशाह अगरबत्ती के डायरेक्टर जगजीवन सिंह, उनके दो भाई मनवीर सिंह और स्वर्ण सिंह मौजूद थे. दीघा से विधायक संजीव चौरसिया, पूर्व मंत्री व विधायक नितिन नवीन आदि भी अंतिम संस्कार में भाग लिया. सबों ने अमृत पाल सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
इधर दधीचि देहदान समिति के महामंत्री विमल जैन ने लोगों से अनुरोध किया है कि मृत्यु को जीवन का अंत न बनाएं. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी मृत्यु के बाद देहदान का संकल्प लें. इससे मृत्यु के बाद भी दूसरों के शरीर के माध्यम से जिंदा रहा जा सकता है. मृत्यु तो निश्चित है परन्तु मृत्यु के पश्चात भी अमर होने का श्रेष्ट तरीका है – नेत्रदान.
आपको बता दें, इंसान की मृत्यु के 6 से 8 घंटे के भीतर नेत्रदान की प्रक्रिया पूरी करनी होती है. अक्सर लोगों को यह भ्रांति रहती है कि नेत्रदान की प्रक्रिया में मृतक की आंखें निकाल लेने से गड्ढे हो जाते हैं. मगर यह सही नहीं है. नेत्रदान की प्रक्रिया में सिर्फ आंखों का कॉर्निया निकाला जाता है. इसके साथ ही कृत्रिम आंख लगाई जाती है, जिससे मृतक के गड्ढा नहीं होता. नेत्रदान में प्राप्त कॉर्निया को 4 दिन में प्रत्यारोपित किया जाता है.