पैदल बिहार पहुंचे लोगों ने लगाया दिल्ली सरकार पर आरोप
पटना (TBN रिपोर्ट) :- भारत में कोरोना की वजह से लॉकडाउन होने के कारण सरकार ने एहतियातन सभी यातायात बंद कर दिए है जिससे आवागमन पूरी तरह से वाधित हो चुका है. अब ऎसे में दिल्ली, उत्तरप्रदेश और अन्य बाहरी राज्यों से बिहार बापिस आने वाले नागरिको को बहुत बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यहाँ तक कि लोग सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव भी पहुंचे हैं. इतना लम्बा सफर और वो भी पैदल तय करने में लोगों को तमाम तरह की दिक्कतों का झेलना पड़ा. ऐसा ही एक वाकया सोमवार को दिल्ली से पैदल चलकर पटना के पुनपुन पहुंचे पांच लोग ने सुनाया. लॉकडाउन के दौरान अनेकों मुसीबतों से मुकाबला करते हुए अपने गांव पहुंचने के बाद इन्होने जो बताया उससे दिल्ली सरकार की बाहरी राज्यों के लोगों की मदद के नाम पर झूठे वादों की पोल खुलकर रह जाएगी.
लॉकडाउन के दौरान मुसीबतों से लड़ते हुए पुनपुन के केवड़ा पंचायत के कमलपुरा निवासी वीरेंद्र मांझी, विनोद कुमार, संदीप कुमार, प्रवीण कुमार और संजय कुमार ने बताया कि ” देश मे लॉकडाउन घोषित होने बाद ही उनको कंपनी वालों ने निकाल दिया . उसके बाद दुकानदारों ने उन्हें राशन देने से मना कर दिया. इसके साथ ही मकान मालिक ने कमरे का बिजली-पानी भी बंद कर दिया और मकान मालिक के द्वारा किराए के मकान को खाली करने का दबाब बनाया जाने लगा जिससे मकान खाली करने के बाद वो सड़क पर आ गए और उनको खाने और रहने तक के लाले पड़ गये अब ऐसे में वापस आने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था. दिल्ली से बिहार अपने गांव आते वक़्त बीच रास्ते में ही उनके सारे पैसे खत्म हो गए थे ऐसे में जगह जगह रुककर जाते हुए भूखा देखकर ग्रामीणों ने उन्हें खाना खिलाया”.
दिल्ली सरकार के ऊपर गुस्सा ज़ाहिर करते हुए इन लोगों ने दिल्ली सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि “दिल्ली सरकार की मदद की घोषणा सिर्फ झूठी है. दिल्ली सरकार ने सिर्फ वादे किये और हमें कहीं भी मदद नहीं मिली. सारे बिहारी भूखे प्यासे खाने को मोहताज़ हो रहे थे. पुनपुन के हेल्थ मैनेजर अपराजिता ने बताया कि “दिल्ली से वापस आए पांच लोगो को प्रारंभिक जांच के बाद उन्हें होम क्वारेंटाइन की सलाह दी गई है”.
बता दें लॉकडाउन के बाद से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा बाहर के राज्यों में फंसे हुए बिहार के नागरिकों के लिए संबंधित राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन से राहत मुहैया कराने का आग्रह किया गया था. इसके साथ ही संबंधित राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन से से कहा था कि “बिहार सरकार के खर्चे पर वहां रह रहे बिहारियों को भोजन और रहने की सुविधा दी जाए”.