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पटना हाईकोर्ट ने जाति-आधारित गणना मामले के भाग्य पर अपना फैसला रखा सुरक्षित

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राज्य में नीतीश सरकार द्वारा कराए जा रहे जाति आधारित सर्वेक्षण मामले के भाग्य पर पटना उच्च न्यायालय ने 7 जुलाई 2023, शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित (Patna High Court reserves verdict on Caste-based Survey case) रख लिया. मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति मधुरेश प्रसाद की खंडपीठ अगले सप्ताह अपना फैसला सुना सकती है.

इसी साल 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने सर्वे पर अंतरिम रोक लगा दी थी और राज्य सरकार को अब तक एकत्र किए गए डेटा को संरक्षित करने का आदेश दिया था. कोर्ट ने सर्वेक्षण के आदर्श वाक्य (motto of the Survey) पर सवाल उठाया था और कहा था कि यह सर्वेक्षण की आड़ में एक तरह की जनगणना है.

मीडिया से बात करते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील दीनू कुमार ने बताया कि सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के जाति आधारित सर्वेक्षण कराने के अधिकार पर समर्थन और विरोध में कई दलीलें दी गईं. उन्होंने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और प्रतिष्ठित अदालतों के कई ऐतिहासिक फैसलों का संदर्भ दिया है.

दूसरी ओर बिहार के महाधिवक्ता प्रशांत कुमार शाही ने सुनवाई के दौरान समाज में हाशिये पर पड़े लोगों के उत्थान का हवाला देते हुए सर्वेक्षण की आवश्यकता पर सरकार का पक्ष रखा. महाधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार जाति आधारित सर्वेक्षण करने, राज्य के लोगों की जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर डेटा एकत्र करने के लिए सक्षम है. लगातार चल रही मैराथन सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह भी बताया कि सर्वे का 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है.

राज्य में जाति आधारित सर्वेक्षण के खिलाफ नालंदा के अखिलेश सिंह समेत कई लोगों ने याचिका लगाई है. इन याचिकाओं पर पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई की. इससे पहले इस मामले को लेकर अखिलेश सुप्रीम कोर्ट गए थे जहां कोर्ट ने उन्हें पटना हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई कर अंतरिम आदेश देने का निर्देश दिया था.

जातीय जनगणना पर लगी थी रोक

मामला फिर पटना हाईकोर्ट में आया जहां 4 मई को हाईकोर्ट ने जाति आधारित सर्वेक्षण पर एक अंतरिम आदेश देकर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दिया. साथ ही, 3 जुलाई को सुनवाई के लिए तारीख तय की. इसके बाद राज्य सरकार ने इस पर जल्द सुनवाई की अपील पटना हाईकोर्ट में की. कोर्ट ने 9 मई को इस अपील को इंकार कर दिया. इसके बाद 5 जुलाई से 7 जुलाई तक मामले पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. शुक्रवार 7 जुलाई को हाईकोर्ट ने मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. संभवतः अगले सप्ताह मामले में कोर्ट अपना फैसला सुना सकती है.

500 करोड़ रुपए की हुई बर्बादी का आरोप

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि राज्य सरकार जाति आधारित सर्वेक्षण के नाम पर जनता के 500 करोड़ रुपए की बर्बादी कर रही है. इतना ही नहीं, याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि जाति आधारित सर्वेक्षण कराना राज्य सरकार का काम नहीं बल्कि केंद्र सरकार का काम है. इस तरह राज्य सरकार अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम कर रही है. वहीं बिहार सरकार का पक्ष रखते हुए एडवोकेट जनरल पीके शाही ने कोर्ट को बताया कि इस जाति आधारित सर्वेक्षण का उदेश्य कल्याण और उनके हितों के लिए किया जाना है.

अब देखना यह है कि पटना हाईकोर्ट इस मामले में अपना क्या आदेश पारित करती है. हालांकि पिछले 4 मई को मामले पर हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाए जाने से नीतीश सरकार को झटका लगा था.