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केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेजे गए केके पाठक, नीतीश सरकार ने दी आवेदन को मंजूरी

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा ईमानदार घोषित शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को आखिरकार नीतीश सरकार ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया. तेजतर्रार छवि वाले केके पाठक द्वारा केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के आवेदन को नीतीश सरकार ने एनओसी दे दिया है.

गौरतलब है कि वर्तमान में चल रहे बजट सत्र 2024 का लगभग पूरा का पूरा समय केके पाठक को लेकर बर्बाद हो गया. विपक्ष के साथ-साथ सत्ता दल ने भी पाठक के खिलाफ दोनों सदनों में भारी हंगामा किया था. गुरुवार को तो विधान परिषद में डॉक्टर संजीव सिंह ने केके पाठक के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाने की भी मांग उठा दी थी. विधानसभा में भी केके पाठक के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठी थी.

दरअसल में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सदन में दिए गए स्कूल की टाइमिंग वाले आदेश को केके पाठक नहीं मान रहे थे. केके पाठक बिहार में सरकारी स्कूलों में 9 बजे से शाम के 5 बजे तक चलाना चाहते थे जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरकारी स्कूलों को सुबह 10 से शाम को 4 बजे तक चलने का आदेश दिया था.

केके पाठक ने मुख्यमंत्री के आदेश को लेकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ लाइव वीडियो कोंफ्रेसिंग की थी. इस लाइव वीडियो कोंफ्रेसिंग में पाठक द्वारा टीचरों को गाली देने का आरोप लगा. केके पाठक की इसी जिद्दीपन के चलते कई दिनों से विपक्ष ने दोनों सदनों में जमकर हंगामा किया.

नीतीश ने कहा था एक ईमानदार अधिकारी

कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन में सार्वजनिक रूप से केके पाठक को एक ईमानदार ऑफिसर बताया था. उन्होंने यह भी कहा था कि विपक्ष द्वारा पाठक को हटाए जाने की मांग गलत है. उन्होंने केके पाठक के खिलाफ किसी भी तरह की कारवाई से इनकार कर दिया था.

सीएम और राजभवन दोनों से ठन गई थी

जहां एक ओर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री के आदेश को नहीं माना था वहीं उनकी राजभवन से भी जबरदस्त ठन गई थी. केके पाठक ने बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक 28 फरवरी को बुलाई थी. लेकिन राजभवन द्वारा दिए गए आदेश के कारण इस बैठक में कोई कुलपति नहीं आया था. इस पर केके पाठक ने सभी कुलपतियों के वेतन पर रोक दिया और सबों को नोटिस भी जारी कर दिया था. लगता है कि केके पाठक को राजभवन और सरकार से भिड़ना भारी पड़ गया.

स्कूली शिक्षा में सुधार

बताते चलें, बात चाहे कुछ भी हो लेकिन शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए केके पाठक ने राज्य की स्कूली शिक्षा में कई सुधार भी किए है. उनके कड़कपन के कारण राज्य के विद्यालयों में पढ़ाई-लिखाई का एक माहौल जरूर बन गया था. टीचर व छात्र समय से स्कूल आने-जाने लगे थे. इससे शिक्षकों में नाराजगी भी फैल गई थी. लेकिन पाठक के कदमों से स्कूली छात्र और अभिभावक खुश थे. अब केके पाठक के केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की खबर के बाद राज्य की शिक्षा-व्यवस्था में कितना बदलाव आता है – व्यवस्था अच्छी होती है या फिर से पुराने ढर्रे पर वापस चली जाती है – यह देखना दिलचस्प होगा. उम्मीद है, पाठक के बाद टीचर, स्कूली छात्र और अभिभावक शिक्षा के स्तर को अच्छा बनाने की कोशिश करेंगे.