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Lockdown – मछली पालक हुए बर्बाद

पटना (संदीप फिरोजाबादी की रिपोर्ट) :- कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन घोषित होने से लोगों के धंधे रोजगार चौपट हो चुके हैं. सरकार के द्वारा लॉकडाउन लागू करने का फैसला भले ही लोगों के स्वास्थ्य और कोरोना से बचाव की दृष्टि से सही हो लेकिन कारोबार बंद हो जाने का असर लोगों के आर्थिक हालात पर पड़ा है.

दिहाड़ी मजदूरों और रोज़मर्रा के काम करके परिवार का पेट पालने वालों के जीवन पर लॉकडाउन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा है. लोगों के काम बंद हो जाने से आय के श्रोत खत्म हो गए. इसी क्रम में मछली व्यापारियों को भी भारी नुकसान झेलना पर रहा है. मछली अपने समय से बड़ी हो गई है, पर लॉक डाउन होने की वजह से उसका कोई खरीदार नहीं मिल रहा है.

जिले में सरकार के द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देते हुए बड़े पैमाने पर मछली उत्पादन शुरू हुआ है. बाढ़ के बूढनपुरा गांव में भी मछली पालन किया जाता है. हर बार मछली का उत्पादन काफी अच्छी तरह से होता था, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन होने की वजह से मछली तालाब में ही बड़ी हो रही हैं, पर खरीदने वाला कोई नहीं मिल रहा है. जिससे मछली पालन करने वाले व्यापारियों को भारी नुकसान का सामना कर पड़ रहा है.

इस बारे में बताते हुए मछली पालक कहा है कि, “इस समय तक मछली तालाब से निकलकर मंडी में चली जाती थी, और तालाब को फिर से सुखा कर इसमें दोबारा मछली पालन का कार्य शुरू हो जाता था. लेकिन इस बार कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन होने की वजह से पुराने मछली ही अभी तक तालाब में पड़ी है.

मछलियों को बाजार में ले जाने के लिए अभी लॉकडाउन में यातायात के साधन बंद होने की वहज से वाहन न मिलने और खरीदारी नहीं होने के कारण मछली तालाब में ही हैं, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है. मछली पालने में जितनी लागत लगी है इतनी भी लागत उन्हें नहीं मिल पा रही है. जिस वजह से मछली तालाब में ही बड़े हो रहे है. ऐसे में कारोबार में हो रहे घाटे को देखते हुए मछली पालकों ने सरकार से मदद की गुहार लगाते हुए आवश्यक कदम उठाने की गुजारिश की है.