“कदम कदम पर लाखों छल, भीड़ बहुत है धीरे चल”; “सामयिक परिवेश” की काव्य गोष्ठी में बजी तालियां

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| मंगलवार को राजधानी पटना के पाटलिपुत्र कॉलोनी स्थित लिट्रा पब्लिक स्कूल (Kavya Goshthi organized at Litra Public School, Patliputra by “Samayik Parivesh”) के प्रांगण में मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया. इसका आयोजन हिंदी पत्रिका “सामयिक परिवेश” के बिहार अध्याय द्वारा किया गया.
काव्य गोष्ठी का उद्घाटन वरिष्ठ साहित्यकार शिवनारायण, वरिष्ठ कथा लेखिका, शिक्षाविद और सामयिक परिवेश की राष्ट्रीय अध्यक्ष ममता मेहरोत्रा, प्रख्यात लोक गायिका डॉ नीतू कुमारी नवगीत, कला मर्मज्ञ और लेखक अशोक कुमार सिन्हा तथा शायर समीर परिमल, कासिम खुर्शीद एवं श्याम कुंवर भारती ने किया.
इस काव्य गोष्ठी में अनुभवी कवियों के साथ-साथ युवा कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से उपस्थित लोगों को भावविभोर किया. मुकेश ओझा, प्रेरणा प्रताप, समीर परिमल, नीलू अग्रवाल, सुधा पाण्डेय, नसीम अख्तर, चंद्रबिंद सिंह, रेखा भारती, मीना कुमारी, राज कांता राज, स्मिता परासर, श्याम कुमार भारती सहित अनेक कवियों ने अपने लिखे कविताओं का पाठ किया.
इस अवसर पर संस्था की अध्यक्ष ममता मेहरोत्रा ने कहा कि बसंत उल्लास और उमंग का मौसम है. साहित्यकारों का पसंदीदा मौसम भी वसंत है. ममता मेहरोत्रा ने अतिथियों का सम्मान मधुबनी पेंटिंग देकर किया और सभी ने बसंत और फागुन की कविताएं पेश की.
वरिष्ठ कवि शिव नारायण सिंह ने इस काव्य गोष्ठी में अपने द्वारा लिखित एक कविता को पढ़ा. इस कविता के बोल रहे – “कदम कदम पर लाखों छल, भीड़ बहुत है धीरे चल”.
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नीतू कुमारी नवगीत ने स्वरचित सरस्वती वंदना का गायन करने के बाद “होली का त्यौहार आया, होली का त्योहार, दिल से नफरत निकाल, दिल से नफरत निकाल” गीत प्रस्तुत किया.
वहीं अशोक कुमार सिन्हा ने वसंत का गीत प्रस्तुत किया. उनके गीत के अनुसार, “कितना सुहाना मौसम आ जाता है, जब हमारे मन में वसंत छा जाता है”.

इस गोष्ठी में पंकज प्रियम ,समीर परिमल एवं कासिम खुर्शीद ने एक से बढ़कर एक गजलें प्रस्तुत की. उपस्थित अतिथियों ने इनकी गजलों पर तालियाँ बजा कर हौसला अफजाई किया. कवयित्री प्रेरणा प्रताप भी पीछे न रहते हुए सूफियाना अंदाज में कहा – “मेरा इश्क जरा सा सूफी और नूरानी है, बस इस को महसूस किया मेरी आंखों में पानी है”.
आदित्य की स्वर्णिम नव रश्मि नामक कविता सुप्रसिद्ध कवयित्री एवं सामयिक परिवेश की संस्थापिका ममता मेहरोत्रा के द्वारा प्रस्तुत की गई. कार्यक्रम का सफल संचालन श्वेता मिनी ने किया.