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‘हरिलाल’ का ढोकला बदबूदार, तो ‘संगीता’ का खाजा निकला बेकार

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| पटना के कई नामी-गिरामी मिठाई की दुकानों से खरीदा गया खाने की चीजें खराब निकल रही हैं जो खाने योग्य नहीं होती. जब खरीददारों द्वारा इसकी शिकायत की जाती है तो दुकानदारों द्वारा उनके साथ बदतमीजी तक की जाती है.

पहले मामले में, राजधानी पटना के बोरिंग रोड निवासी पुनीत खंडेलिया के घर शनिवार 18 नवंबर को कुछ मेहमान आए थे. पुनीत खंडेलिया ने अपने मेहमानों को ढोकला खिलाने का सोचा. इसके लिए अपने आदमी को उन्होंने बोरिंग रोड स्थित हरिलाल से लगभग साढ़े पांच बजे ढोकला मंगवाया.

शाम लगभग साढ़े छह बजे मेहमानों को देने के लिए जब ढोकला के उस डिब्बे को खोला गया तो उसमें से एक सड़ी हुई बदबू नथुनों में भर गई. उपभोक्ता पुनीत खंडेलिया ने बताया कि उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि इतनी प्रसिद्ध दुकान भी ऐसी करतूत कर सकते हैं. खैर किसी तरह मेहमानों के सामने दूसरी चीजों को परोसकर इज्जत बचाई गई और ड्राइवर को सामान को वापस करने हरिलाल के पास भेजा गया.

पुनीत खंडेलिया ने बताया कि बजाय अपनी गलती मानकर पैसे वापस करने की, दुकानदार ने बिल पर साइन करके कहा कि इसके बदले में कल यानि 19 नवंबर तक दूसरा समान ले सकते हैं. जब ड्राइवर ने दुकानदार से कहा कि कल तक क्यों, तो बहुत एहसान जताते हुए दुकानदार ने 20 नवंबर तक का समय दे दिया.

मामले के बारे में पुनीत खंडेलिया ने कहा कि ‘हरिलाल’ की ओर से किया गया व्यवहार गलत है, इसलिए कोई समझौते का सवाल नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि वह मामले के बारे में उपभोक्ता फोरम के अलावा खाद्य उपभोक्ता विभाग और मंत्रालय में लिखित शिकायत करेंगे. वहीं, दूसरी ओर हरिलाल के प्रबंधक अजीत गवारी ने कहा कि अगर किसी तरह की गलती हुई है, तो इसके लिए क्षमा मांगता हूं. सामान बदलने के लिए कर्मचारी तैयार था, लेकिन वह तैयार नहीं हुए.

हालांकि पुनीत खंडेलिया ने बताया कि दुकानदार ढोकला के बदले ढोकला देने पर राजी हो गया है और माफ़ी के तौर पर इसे खुद उनके घर पहुंचाने का वादा किया है. उन्होंने कहा कि मामला तो शांत हो गया है लेकिन दुकानदार द्वारा किया गया व्यवहार कतई माफी योग्य नहीं है.

इसी तरह एक दूसरी घटना में, गर्दनीबाग के साधनापुरी मुहल्ले के रहने वाले रत्नेश ने बताया कि पिछले 15 नवंबर को चित्रगुप्त पूजा के अवसर पर उन्होंने पटना म्यूजियम के सामने स्थित संगीता स्वीट्स से ‘खाजा’ खरीदा था. जब घर पर पूजा के बाद उनके घर के लोग ‘खाजा’ खाने लगे तो पता चला कि वह खाने योग्य ही नहीं है. उसके बाद रत्नेश संगीता स्वीट्स पहुंचे और दुकानदार से कहा कि ‘खाजा’ की क्वालिटी इतनी खराब है कि उसे कोई खा नहीं सकता है. इसपर पहले तो दुकानदार ने तेज बोलकर मामले को दबाने की कोशिश की लेकिन फिर बाद में रत्नेश से कहा कि वह दूसरा ‘खाजा’ ले जाएं. दुकानदार ने बताया कि उनके स्टाफ द्वारा पुराने लॉट का खाजा, जिसे फेंकना था, गलती से दे दिया गया था. हालांकि रत्नेश ने ‘खाजा’ न लेकर अपना पैसा वापस ले लिया.

चाहे ढोकला हो या खाजा या खाने की किसी और वस्तु का मामला हो, इन तथाकथित बड़े दुकानों में इस तरह की घटिया चीजें लोगों को बेच दी जाए तो यह एक गंभीर परिणाम का कारण बन सकता है. क्या पैसा कमाने की होड़ में ये तथाकथित बड़े दुकानवाले क्वालिटी के मामले में थोड़ा भी सेन्सिटिव नहीं है? ऑनलाइन ऑर्डर और होम डिलीवरी के युग में ऐसी घटिया और फेंकने योग्य खाने की चीजें ग्राहक को बेचकर/भेजकर ये तथाकथित दुकानवाले कितने दिनों तक बच पाएंगे? सोशल मीडिया के जमाने में अब ग्राहकों को जागना होगा और खाने की खराब क्वालिटी की चीजें बेचने वाले इन बड़े दुकानदारों के खिलाफ अपनी बातें समाज के सामने लाना होगा.