बिहार से देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा का हुआ चयन
पटना / भागलपुर (The Bihar Now डेस्क)| बिहार की मानवी मधु कश्यप (Manvi Madhu Kashyap transgender) देश के इतिहास में पहली बार ट्रांसजेंडर दारोगा (first transgender sub-inspector of India) बनी हैं. मंगलवार को बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग (Bihar Police Sub-Ordinate Services Commission) ने दारोगा के पद का रिजल्ट जारी कर दिया. आयोग द्वारा घोषित 1275 सफल उम्मीदवारों में तीन ट्रांसजेंडर सफल हुए हैं.
भागलपुर (Bhagalpur) के एक छोटे से गाँव की रहने वाली मानवी मधु कश्यप बचपन से लड़के की तरह रही. बड़े होने के साथ एहसास हो गया कि वह एक ट्रांसजेंडर हैं. पटना में गुरु रहमान (Guru Rahman), जो ट्रांसजेंडर को निशुल्क परीक्षा की तैयारी कराते हैं, के कोचिंग इंस्टिट्यूट से मानवी ने निशुल्क स्टडी मटेरियल लेकर दारोगा पद के लिए तैयारी की और अंततः सफल भी हुई.
ट्रांसजेंडर्स के लिए थीं 5 रिक्तियां
बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग द्वारा घोषित रिजल्ट में तीन ट्रांसजेंडर सफल हुए हैं. इनमें से दो ट्रांसमेन हैं जबकि एक ट्रांसवूमेन हैं. बता दें, आयोग ने दारोगा भर्ती में ट्रांसजेंडर्स के लिए 5 रिक्तियां निकाली थी. इसमें से अंतिम रिजल्ट में सिर्फ 3 ही सफल हो पाए. इस प्रकार ट्रांसजेंडर्स के लिए आरक्षित दारोगा के 2 पद खाली रह गए.
अब गर्व से जाएंगी अपने गांव
मानवी ने बताया कि पहले पहचान छिपाने के लिए समाज के डर से जो दुपट्टा ओढ़ा था अब उसे लहराएंगी. पहले उनकी मां उनसे मिलने के लिए छिपकर पटना आती थीं, लेकिन अब वह अपने गांव वर्दी में जाएंगी और सभी से कहेंगी कि उन्हें ट्रांसजेंडर होने का कोई शर्म नहीं है.
मानवी ने बताया कि जब वह ”कक्षा 9 में थीं तब पता चला कि वह सामान्य लड़का नहीं है. इसके बाद धीरे-धीरे वह समाज से कटना शुरू हुई. परिवार में उनके अलावा उनकी दो बहनें एक भाई है और माताजी हैं. अपने घर पिछले 9 वर्षों से नहीं गई हैं. अब वह दारोगा की परीक्षा उत्तीर्ण कर गई हैं. वह सबसे पहले जब ट्रेनिंग कंप्लीट होगी तो मैं वर्दी में अपने गांव जाऊंगी और अपनी मां को सैल्यूट करूंगी.”
‘ट्रांसजेंडर होने पर गर्व..’
मानवी ने कहा कि इस रिजल्ट से वह काफी खुश हैं. वह बीते डेढ़ वर्षों से दारोगा बनने के लिए प्रतिदिन लगभग 8 घंटे या इससे अधिक ही पढ़ाई करती थीं. इसके अलावा सुबह-सुबह गांधी मैदान में फिजिकल के लिए डेढ़ घंटे पसीना बहाती थीं. इसका रिजल्ट हुआ कि जिस दौड़ को फिजिकल टेस्ट में 6 मिनट में पास करना होता है उसे उन्होंने 4 मिनट 34 सेकंड में पास कर लिया था. पास में मौजूद सभी अधिकारियों ने खूब ताली बजाया था.
गुरु रहमान सर का किया शुक्रिया
मानवी ने बताया कि साल 2022 में उन्होंने मद्य निषेध विभाग में सिपाही के लिए लिखित परीक्षा निकाल ली थी लेकिन उसे दौरान उनकी शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं थी और इस वजह से वह फिजिकल में 11 सेकंड से चूक गईं थी. उस दौरान उनका सर्जरी हुआ था और 6 महीने बेड रेस्ट पर थी और दौड़ने चली गई थी जिसके कारण तबीयत भी खराब हो गया था. लेकिन उसके बाद दारोगा परीक्षा की तैयारी के लिए गुरु रहमान के पास जब आईं तो गुरु रहमान ने उनसे कोई शुल्क नहीं लिया और पढ़ाई के लिए सभी प्रकार के स्टडी मटेरियल उपलब्ध कराया.
मानवी मधु ने अपनी उपलब्धि का श्रेय गुरु रहमान को देती हैं और कहती हैं कि वह इस गुरुकुल की आजीवन छात्रा बनी रहेंगी. मानवी के अनुसार, उन्हें सभी से काफी प्रेम मिला और क्लासरूम में भी उनके साथ कोई भेदभाव नहीं करता था. वहीं इस मौके पर दारोगा गुरु के नाम से मशहूर शिक्षाविद गुरु रहमान ने बताया कि 1275 रिजल्ट में अब तक उनके पास 749 के कंफर्मेशन आ चुके हैं जो उनके छात्र हैं.
सभी तीन सफल ट्रांसजेंडर गुरु रहमान के स्टूडेंट
रहमान ने कहा, ”इस बार का रिजल्ट मुझे और अधिक गौरवान्वित कर रहा है, क्योंकि लड़का और लड़कियों को तो मैं दारोगा बनाते ही था, लेकिन अब इस बार हमारे यहां से तीन ट्रांसजेंडर भी दारोगा बने हैं. बिहार में इस बार जो तीन ट्रांसजेंडर दारोगा बने हैं तीनों मेरे स्टूडेंट हैं. मैं ट्रांसजेंडर को निशुल्क शिक्षा देते हैं और आज भी मेरे यहां विभिन्न बैच में 26 ट्रांसजेंडर पढ़ाई कर रहे हैं.”
गुरु रहमान ने अपने स्टूडेंट मानवी मधु कश्यप पर गर्व करते हुए कहा कि दारोगा परीक्षा के फर्स्ट अटेम्प्ट में ही मानवी ने क्वालीफाई किया है. देश की पहली ट्रांसजेंडर दारोगा बनी है. उन्होंने कहा कि वह छात्रों से यही कहते हैं कि वह उनसे कुछ नहीं लेते लेकिन उनके कंधे पर दो स्टार जरूर दिलाने के लिए अपना पूरा प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि मधु का रिजल्ट बता रहा है कि ट्रांसजेंडर समुदाय यदि पढ़ाई में आगे आते हैं तो बेहतर जीवन के तमाम अवसर खुले हुए हैं. मधु अब का कई छात्र-छात्राओं के लिए प्रेरणा बन गई है.
(इनपुट-न्यूज)