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बैंक इम्पलाईज फेडेरशन, बिहार का 13वां राज्य सम्मलेन सम्पन्न, नए पदाधिकारियों का हुआ चयन

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| रविवार 28 अगस्त को बैंक इम्पलाईज फेडेरशन, बिहार का 13वां राज्य सम्मलेन (13th State Conference of Bank Employees Federation, Bihar) सम्पन्न हुआ. राजधानी के बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन हाल (Bihar Industries Association Hall) में आयोजित इस सम्मलेन में 200 से अधिक प्रतिनिधिओं ने भाग लिया.

सम्मलेन का उद्घाटन करते हुए बैंक एम्प्लाइज फेडेरशन ऑफ़ इंडिया (Bank Employees Federation of India) के महामंत्री देबाशीष बासु चौधरी ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर कड़ा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियाँ देश के लिए बड़ा खतरा है. उदारीकरण के नाम पर एक-एक कर देश की सार्वजानिक संस्थाएं बेचीं जा रही हैं.

आगे उन्होंने कहा कि शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे क्षेत्र भी निजी हाथो में सौपे जा रहे हैं. नौकरियां समाप्त हो रही हैं, उद्योग-धंधे और छोटे व्यापार समाप्त हो रहे हैं. बड़े उद्योगपतियों के लाखों करोड़ रुपये के कर्ज माफ़ किये जा रहे हैं. गरीब-अमीर के बीच की खाई बढ़ रही है. उन्होंने आह्वान किया कि इन तमाम बातों का विचार करते हुए बैंक कर्मचारयों को आन्दोलन करना होगा.

बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021

बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक 2021 के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने आगे कहा कि अपनी नव-उदारवादी आर्थिक नीतियों को तेजी से लागू करने कि दिशा में, केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको के निजीकरण को प्रभावी करने के लिए इस विधेयक को लाया है.

उन्होंने कहा कि यह विधेयक बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और 1980 में संशोधन को प्रभावी बनाने के लिए है, जिसमें बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 में संशोधन भी शामिल हैं. आने वाले समय में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए बिल लाया जाएगा.

अन्य संगठनों के साथ मिल कर आन्दोलन करने की जरूरत

महामंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण की कोशिशों को अलग-थलग करके नहीं देखना चाहिए. सरकार पहले ही सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के थोक निजीकरण के अपने निर्णय की घोषणा कर चुकी है और संसद में रखे और पारित कई कानूनों के माध्यम से उस दिशा में कार्यान्वयन शुरू कर दिया है. हमें अन्य संगठनों के साथ मिल कर आन्दोलन करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के कदम का प्रभावी ढंग से विरोध करने के लिए बैंक कर्मचारियों के आंदोलन को देश के मजदूर वर्ग से जोड़ना महत्वपूर्ण है.

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उन्होंने आगे कहा कि हमें किसान आंदोलन से भी सबक लेना चाहिए, जिसने पिछले साल अपने दृढ़ संघर्ष और बलिदान के माध्यम से सभी बाधाओं को पार करते हुए सरकार को शीतकालीन सत्र की शुरुआत में कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर किया.

उन्होंने बैंक कर्मचारियों का आउटसोर्सिंग का विरोध एवं बैंक में नयी नियुक्ति के लिए आगामी 22 सितम्बर 2022 को अखिल भारतीय मांग दिवस का आयोजन सफल करने का आह्वान किया.

बैंक कर्मचारियों के मुद्दों पर संघर्ष तेज करने का निर्णय

इस सम्मलेन में बैंको एवं सार्वजानिक क्षेत्र के उद्योगों के निजीकरण के विरोध में, नयी बहाली एवं अस्थाई कर्मचारियों की सेवा नियमित करने , पेंशन अद्यतन करने तथा नयी पेंशन व्यवस्था समाप्त करने हेतु प्रस्ताव पारित किया गया. साथ ही साथ बैंक कर्मचारियों के मुद्दों पर संघर्ष तेज करने का निर्णय लिया गया.

सम्मलेन ने सर्वसम्मति से बी प्रसाद को अध्यक्ष, उमेश कुमार वर्मा को कार्यकारी अध्यक्ष, रंजन राज को महासचिव, अजय चटर्जी को सचिव तथा सुधीर कुमार सिंह को कोषाध्यक्ष निर्वाचित किया गया.

इधर, जनवादी नौजवान सभा (डीवाईएफआई) के राज्य अध्यक्ष मनोज कुमार चंद्रवंशी ने बैंक इम्प्लॉयज फेडरेशन के राज्य सम्मेलन मे चुने गये सभी पदाधिकारियों को बधाई दी है.