Big Newsफीचर

विवाद पैदा करने के लिए आरक्षण सीमा बढ़ाने की मांग कितनी जायज ?

पटना (TBN – अनुभव सिन्हा)| सवर्ण जाति के गरीबों के लिए 10% आरक्षण के फैसले को देश की राजनीति और विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया जा रहा है. पर, इससे एक कदम आगे बढ़कर सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने आरक्षण की तय सीमा को ही बढ़ाने की मांग कर एक नए विवाद को जन्म (Nitish Kumar sparked a new controversy over increasing reservation quota) दे दिया है.

उल्लेखनीय है कि बीते सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने EWC को 10% आरक्षण (10% reservation) दिए जाने का फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को आवश्यक उपकरण बताते हुए इसके इस्तेमाल और इसे खत्म करने की दोनों बात कही थी.

आरक्षण के मुद्दे पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की ईमानदारी जग जाहिर है. शुरूआती दस साल के लिए लागू हुआ यह प्रयोग निर्बाध रुप से जारी है. इससे राजनीति तो नित चमकती गई पर लाभार्थियों का विकास असम्बद्ध ही रहा. समाज के अन्य वर्गों से भी आरक्षण की मांग यदाकदा उठती रहती है. पर राजनीति बिना लाग-लपेट के जारी है.

सीएम नीतीश कुमार की 50% वाली आरक्षण सीमा को बढ़ाने वाली मांग का हश्र क्या होगा, यह कोई नहीं जानता, पर बिहार की राजनीतिक पिच पर जमे सीएम की यह मांग सोची-समझी रणनीति के तहत ही नजर आती है.

यहां यह उल्लेख करना जरुरी है कि EWC को दिया गया आरक्षण सामान्य कोटे से है और 50% की पहले से चली आ रही आरक्षण सीमा अक्षुण्ण है. इसका मतलब सिर्फ इतना है कि इस सीमा में कोई वृद्धि सुप्रीम कोर्ट के लिए विचारणीय ही नहीं है. इसलिए यह समझना मुश्किल है कि नीतीश कुमार ने इस बारीकी पर ध्यान नहीं दिया होगा. पर एक महत्वपूर्ण फैसले के तुरत बाद सीमा बढ़ाने की मांग का फौरी मतलब अनावश्यक विवाद पैदा करना ही लगता है.

वोट की राजनीति के तहत समाज को खण्ड-खण्ड कर देने की प्रवृति का भले ही यह अगला कदम हो, पर इस मांग को पूरी होने में लगने वाले समय को ध्यान में रखकर ही नीतीश कुमार ने ऐसा कहा है. नजर लोकसभा चुनावों पर है और इसीलिए उन्होने जाति आधारित जनगणना को भी जरुरी बताया है. वह देश भर के गरीबों को बिहार माडल के तहत लकीर का फकीर बनाए रखना चाहते हैं.

इसे भी पढ़ें| लोकशाही के पाखण्ड की परत उधेड़ रहे प्रशांत किशोर

वैसे, लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी को टक्कर देने की मंशा पाले नीतीश कुमार को कितनी कामयाबी मिलेगी, यह वक्त की बात है, पर विकास पुरुष का मुगालता पाले नीतीश कुमार तो अकेले प्रशांत किशोर से ही परेशान हैं. प्रशांत किशोर जन सुराज पदयात्रा पर हैं और नीतीश कुमार के विकास की सच्चाई सामने ला रहे हैं. जल्द ही वह आंकड़े भी जारी करने वाले हैं.