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1971 भारत-पाक युद्ध के शहीद के पटना स्थित फ्लैट पर दबंगों का कब्जा

पटना / रांची (TBN – The Bihar Now डेस्क)| आज पूरा देश स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर “आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहा है. यह महोत्सव 15 अगस्त 2022 से शुरू होकर 15 अगस्त 2023 तक चलेगा. इसका उद्देश्य भारत का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, राष्ट्रीय चेतना को देश के घर-घर पहुँचाने का है.

सच पूछे तो आजादी के अमृत महोत्सव का मतलब होता है स्वतंत्रता सेनानियों से प्राप्त प्रेरणा का अमृत, स्वतंत्रता का अमृत यानि नए विचारों का अमृत, नए संकल्पों का अमृत, स्वतंत्रता का अमृत है. एक ऐसा पर्व जिसमें भारत आत्मनिर्भर होने का संकल्प लेता है.

वैसे तो हम “आजादी का अमृत महोत्सव” मना रहे हैं, लेकिन देश में आज भी कई परिवार ऐसे हैं जिनके अपनों ने देश के लिए खुद को निछावर कर दिया फिर भी उन्हें आज तक कोई पूछ नहीं रहा.

देश में आज जिन शहीदों को नहीं पूछ रहा है, उन्हीं में से एक है 1971 भारत-पाक युद्ध का शहीद स्वर्गीय सिपाही माइकल मिंज (Martyr Michael Minz) का परिवार. सर माइकल मिंज झारखंड के चतरा जिले के, टंडवा अंचल के, बहेरा पंचायत मैं कंधार गांव के रहने वाले थे. उनका परिवार आज भी उसी गांव में रह रहा है.

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दुःख की बात यह है कि देश के लिए एक वीरगति प्राप्त सिपाही का परिवार आज भी गरीबी में जी रहा है. उनके पास ना रहने को एक घर है ना ही पहनने को अच्छे कपड़े. वह आज भी सारे सरकारी सुविधाओं से वंचित है.

सरकारी सुविधाओं के लिए पहले भी उनके परिवार वालों ने कई बार बड़े-बड़े दफ्तरों के चक्कर लगा चुके हैं. यहां तक की झारखंड सरकार को भी पत्र लिखकर गुहार लगाया था. लेकिन आज तक उन्हें केवल निराशा ही हाथ लगी है.

पटना में दबंगों ने घर पर किया है कब्जा

उनके परिवार वालों को आज तक एक नौकरी भी नहीं मिली. उनके पास एक सरकारी घर जो पटना में मिला था उस पर भी कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है. इसके लिए शहीद के परिवार ने कई बार सरकार से एवं आला अधिकारियों से गुहार लगाई फिर भी कोई सुनवाई नहीं हुई. सरकार से शहीद परिवार के नाम पर मिलने वाली जमीन भी इस परिवार के लिए एक कहानी बनकर रह गई.

ऐसे कितने ही शहीदों के परिवार आज भी गुमनामी और गरीबी की जिंदगी जी रहे होंगे. देश के लिए मर मिटने वाले इन परिवारों को जब अपने देश की व्यवस्था में ही मूलभूत सुविधाओं के लिए सरकारी दफ्तरों की ठोकरें खानी पड़े, तो उनपर क्या कुछ गुजरती होंगी, इसका अनुमान सहज नहीं.

ऐसे परिवारों का हाल देख शहीद भगत सिंह की वो पंक्तियां याद आती हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि – “मेरे जज्बातों से कदर वाकिफ हैं मेरी कलम, मैं इश्क भी लिखना चाहूँ तो भी इंकलाब लिख जाता है”।

हाल ही में ह्यूमन एंड हेरिटेज केयर फाउंडेशन (Human and Heritage Care Foundation) के चेयरमैन अमरदीप कौशल ने शहीद माइकल मिंज के परिवार से मुलाकात की और उनके हाल के बारे में जाना. कुछ दिन पहले चतरा उपायुक्त के पास शहीद माइकल मिंज के परिवार के साथ जाकर उन्होंने उनके लिए गुहार लगाई है.

अमरदीप कौशल ने उनके परिवारजनों से कई जानकारियां ली. उन्हें यह पता चला कि परमवीर चक्र विजेता शहीद लांस नायक अल्बर्ट एक्का जी को बचाने के क्रम में शहीद माइकल मिंज को गोली लगी थी. मिंज की शहादत का खबर 6 महीने बाद उनको परिवार को मिली.

जल्द ही, ह्यूमन एंड हेरिटेज केयर फाउंडेशन के चेयरमैन दिल्ली जाकर देश के राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू से मिलेंगे और शहीद माइकल मिंज के परिवारवालों की स्थिति से उन्हें अवगत कराएंगे. शहीद माइकल मिंज की शहादत के बाद आज तक देश में उनके परिवार को कोई सरकारी सुविधा नहीं मिल पाई है. साथ ही, उनके पास कोई नौकरी भी नहीं है. उन्होंने कहा है कि वे शहीद माइकल मिंज के परिवार वालों को उनके हक दिलाने के लिए हर संभव सहायता करेंगे.