प्रशांत किशोर के भागीरथ प्रयास का पहला पड़ाव पूर्ण
पटना (TBN – अनुभव सिन्हा)| जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) का 43वां दिन अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुआ. पश्चिमी चम्पारण के 18 प्रखण्डों के चयनित सदस्यों की उपस्थिति में रविवार 13 नवम्बर को सम्पन्न पहले जिला स्तरीय अधिवेशन में जन सुराज को एक राजनीतिक दल बनाने पर सहमति बनी. 18 प्रखण्डों से जन सुराज के चयनित सदस्यों की संख्या 5000 है जो ग्रामीण इलाकों के 35 लाख से ज्यादा लोगों की सहमति से चुने गए हैं. यह संख्या एक जिले की है. जन सुराज का सूत्र वाक्य, ” सही लोग, सही सोच, सामूहिक प्रयास ” है. बेतिया के एमजेके कालेज में आयोजित यह अधिवेशन व्यवस्था परिवर्तन के संकल्प के साथ सम्पन्न हुआ.
कल्पना कीजिए कि बिहार देश के उन गिनती के सम्पन्न और विकसित राज्यों में से एक है जिसे दिल्ली की तरह ही ” मिनी भारत ” कहा जाने लगा है. आज का सत्ता केन्द्र जिस बिहार को गरीब और पिछड़ा बता कर थकता नहीं और उसी के आधार पर केन्द्र सरकार से विशेष दर्जा देने की मांग की राजनीति करता आया है, उसी बिहार के ग्रामीणों और अर्द्ध शहरी लोगों ने बिहार की व्यवस्था को ही बदल देने का संकल्प ले लिया है.
वर्तमान सत्ता/व्यवस्था के स्थापित तौर-तरीकों को इस संकल्प ने नकार दिया है. जातिवाद, ये समीकरण, वो समीकरण की रट लगाने वाले राजनीतिक दलों के सामने आई यह चुनौती 2024 के लोकसभा और 2025 विधानसभा चुनावों में अपनी ताकत का एहसास करा दे तो कोई आश्चर्य नहीं, कयोंकि संकल्प का लक्ष्य वही है और तबतक कई जिलों में व्यवस्था परिवर्तन का संकल्प लिया जा चुका रहेगा. लोकसभा चुनावों के आसपास ही जन सुराज पदयात्रा का समापन भी होगा.
यह तो कहा ही जाता है कि चम्पारण ने गांधी को महात्मा बना दिया. व्यक्ति केन्द्रित राजनीति की परिपाटी से इतर जन सुराज पदयात्रा को एक परिवर्तनकारी आन्दोलन बनाने वाले प्रशांत किशोर खुद को सूत्रधार बताते हैं और इस आन्दोलन का श्रेय लोगों को देते हैं. पदयात्रा के दौरान उन्होने लोगों के मन मे यह बात बैठा दी है कि वह उनके नेता नहीं हैं, उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनना है, बल्कि मुख्यमंत्री का चयन उनके ही बीच से होगा.
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किशोर की साफगोई यह है कि वह यह मानते हैं कि ज्ञान की धरा बिहार में मेधा की कमी नहीं है और इसलिए नेतृत्व का चयन सर्वोत्तम के आधार पर किया जायेगा. उनके अनुसार सहमति होने पर नेतृत्व कोई समस्या नहीं है. क्योंकि यह थोपी जाने वाली विकृति से दूर है.
प्रशांत किशोर ने अधिवेशन में कुल 25.51 मिनट के अपने सम्बोधन में लोगों से बिहार की मौजूदा सूरत को बदल देने की क्षमता का जिक्र किया. लोकतंत्र में वोट के अधिकार का अभीतक जिस तरह से दुरुपयोग और शोषण होता आया है, उसपर रोक लगाना और हर व्यक्ति की सहभागिता सुनिश्चित करना इस बात का प्रमाण है कि अभी तक ऐसा नहीं हुआ और इसलिए यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति बनी हुई है. इस स्थिति से निकलना ही हर समस्या का समाधान है.
अभी 37 जिलों की पदयात्रा बाकी है. अनुमान यही है कि अगले वर्ष के अंत तक जन सुराज को एक राजनीतिक दल के रुप में खड़ा कर दिया जायेगा. वैसे भी पश्चिमी चम्पारण की पदयात्रा आवश्यक प्रकम्पन पैदा करती जा रही है जिससे इस बात का आंकलन करने की भी छूट है कि इसका प्रवाह गति पकड़ता जायेगा.