जन सुराज प्रखण्ड समिति की पहली बैठक नवम्बर में
पश्चिमी चम्पारण / पटना (TBN – अनुभव सिन्हा)| प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) के जन सुराज (Jan Suraaj) का ढांचा प्रखण्ड स्तरीय होगा. 2 अक्टूबर को भितिहरवा (पश्चिमी चम्पारण) से शुरु हुई उनकी पदयात्रा अभी बगहा प्रखण्ड भाग 2 के इलाके में है. पश्चिमी चम्पारण में कुल 18 प्रखण्ड हैं और हर प्रखण्ड से चिन्हित लोग जन सुराज प्रखण्ड समिति के पदाधिकारी होंगे जिनकी बैठक नवम्बर माह में बेतिया में होगी. यह संख्या हजारों में होगी, केवल एक प्रखण्ड से.
यहां ध्यान देने की बात यह है कि बिहार के मुख्य तीन दलों का सांगठनिक ढांचा ऐसा नहीं है जिसके प्रखण्ड स्तरीय प्राधिकारियों की संख्या हजारों में हो.
अपने उद्देश्य के लिए संकल्पित प्रशांत किशोर के प्रयास में अपनी बेहतरी देखने वालों की संख्या न सिर्फ बढ़ती जा रही है, बल्कि इस भ्रष्ट व्यवस्था से चोटिल और आहत लोगों के उस जज्बे को देखने के लिए तीनो दल तरस कर रह जाएंगे पर उन्हें वह गर्मजोशी और उत्साह देखने को नहीं मिलेगा जो बुधवार को मझौवा में देर शाम प्रशांत किशोर के लिए था.
अभी भी, यह जरूर कहा जाना चाहिए कि यह शुरूआती दौर है. क्योंकि बुधवार को मीडिया से बात करते समय किशोर से ढेर सारे सवाल किए गए पर उन सवालों में सर्वाधिक जोर इस पर था कि पदयात्रा की फण्डिंग का स्रोत क्या है ? इस नाजुक सवाल का जवाब बड़ी दृढ़ता से देते हुए किशोर ने बताया कि उनकी रणनीति पर चलकर जिनलोगों ने सरकार बनाई, उनसे मदद मिल रही है. इसके अलावा बड़े पैमाने पर क्राउड फण्डिंग की व्यवस्था में भी किशोर लगे हुए हैं.
पदयात्रा अथवा प्रशांत किशोर की बातों की अहमियत बिहार के तीन मुख्य दलों के लिए कितनी है इसका अंदाजा भाजपा (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष की बातों से लगाया जा सकता है.
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उल्लेखनीय है कि किशोर की रणनीति के लाभार्थी नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) भी हैं. लेकिन महागठबंधन में शामिल राजद (RJD) के सर्वेसर्वा लालू की ज़ुबान पर अभी तक ताला लगा हुआ है. पर, भाजपा की जो प्रतिक्रिया है, वह किशोर की राजनीति के समक्ष टिक पाने में असमर्थ-सी दीखती है. अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजद और जदयू की स्थिति क्या हो सकती है ?
पारम्परिक राजनीतिक शैली में भाजपा, राजद और जदयू की राजनीति का जो आधार है, प्रशांत किशोर की राजनीति के प्रवाह में वह बह सकता है. लालू के मुंह नहीं खोलने के पीछे यह एक बड़ा कारण है. किशोर ने लालू के सामने इज्जत बचाने की स्थिति खड़ी कर दी है. जदयू की जातिवादी और राजद की जातिवाद, तुष्टीकरण और अपराध की राजनीति का जड़-मूल से सफाया हो सकता है, प्रशांत किशोर को मिल रहा जन-समर्थन यह संकेत देता है.
इसलिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने बदलाव के लिए पदयात्रा को भरसक धूमिल करने की ही कोशिश की है तो इसपर राजद और जदयू की अभीतक कोई प्रतिक्रिया भले न हो, इतना तो स्पष्ट है कि प्रशांत किशोर तीनो दलों की राजनीति की धार को कुंद कर सकते हैं. पर किशोर की कोशिश आमलोगों के बदलाव की चाहत को ज्यादा से ज्यादा मजबूती देने की है.