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लालू-नीतीश की जमीन खिसकाने में अकेला किसान ही काफी

बिहार की सम्भावनाएं हैरत में डाल रहीं

लालू-नीतीश की जमीन खिसकाने में अकेला किसान ही काफी

सालाना किसानों को 30 हजार करोड़ रुपये मिल जाएंगे

पटना (TBN – अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)|अन्तर देखिए. बिहार (Bihar) एक कृषि प्रधान राज्य है. इसे लैंड लाक्ड (Land Locked) और पिछड़ा बताकर पिछले तीन दशक से इसका दोहन हो रहा है. लेकिन जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraaj Padyatra) पर निकले प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की माने तो सिर्फ समर्थन मूल्य (support price) पर सरकार यदि किसान से फसलों की खरीदारी करे तो सालाना किसानों को 30 हजार करोड़ रुपये मिल जाएं. क्या यह रकम, जिस राज्य को पिछड़ा बताया जा रहा है, उस राज्य की सरकार को लुटेरी और नाकाबिल नहीं  ठहराती ?

आंकड़ों के मामले में प्रशांत किशोर का कोई जोड़ है न तोड़ है. जो आंकड़े वह लोगों के बीच रखते जा रहे हैं, वह सन्न कर देने वाली हैं. यह वह फरेब हो सकता है जिसे अपराधियों और अधिकारियों के दमन चक्र से ही कामयाब बनाया जा सकता है. लालू-नीतीश राज में बिहार ने यही देखा और देख रहा है.

लालू-नीतीश राज के 32 वर्षों के कुल शासन काल में  2005-2013 और 2017-2022 के बीच दूसरे नम्बर पर रहते हुए भाजपा भी सरकार में शामिल थी. नीतीश कुमार का आठवीं बार मुख्यमंत्री पद का शपथ लेना यह बताता है कि सत्ता में बने रहने की लालसा में बिहार को पिछड़ा बनाए रखने में भाजपा भी समान रूप से दोषी है. क्या एक पढे़-लिखे आदमी (नीतीश कुमार) का नजरिया इतना पिछड़ा भी हो सकता है !

प्रशांत किशोर अब पूर्वी चम्पारण जिले की पदयात्रा पर हैं. सोमवार 21 नवम्बर को जिले की सीरनी पंचायत में उन्होने किसानों की एक सभा को सम्बोधित करते हुए यह जानकारी दी कि धान, गेहूं और गन्ना की खरीदारी यदि समर्थन मूल्य पर की जाए तो कृषि क्षेत्र की सम्भावनाएं कैसे बिहार की सूरत बदल दे सकती है. पर बिहार की सम्भावना तलाशने की ऐसी दृष्टि लालू-नीतीश नहीं  दिखा पाए.

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मुख्यमंत्री के कृषि रोड मैप को झूठा और अप्रभावी बताने वाले पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह के सवाल को इस परिप्रेक्ष्य में भी देखा जाना चाहिए. यह दूसरी बात है कि सुधाकर सिंह जदयू-राजद की राजनीति के शिकार हो गए.हाल के दिनों में बिहार ने यह भी देखा है कि नीतीश कुमार के सामने जब कोई बड़ी लकीर खींची जाती है तब उससे बड़ी लकीर वह खींच नहीं  पाते और उसे सिरे से खारिज कर देते हैं. प्रशांत किशोर के बारे में ही उन्होने पूछा था, ” किसकी बात कर रहे हैं ? उसको राजनीति का a, b, c, d  भी आता है क्या ?” पर प्रशांत किशोर के आंकड़े तो नीतीश कुमार की राजनीति के कब्र खोदने वाले हैं. सुनिए आज प्रशात किशोर ने सभा में क्या कहा –