धान पराली जलायें नहीं, उसका प्रबंधन करें – मंत्री
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| राज्य के कुछ जिलों में धान की कटनी (paddy harvesting) आरम्भ हो रही है. इस बावत सूबे के कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह (Amrendra Pratap Singh, Agriculture Minister) ने किसानों से अपील कर कहा है कि वे धान की खूँटी, पुआल (paddy straw) आदि पराली को खेतों में नहीं जलायें, बल्कि उसका उचित प्रबंधन करें.
मंत्री ने कहा कि फसल अवशेष (crop residue) को खेतों में जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है जिसके कारण मिट्टी में पाया जाने वाला जैविक कार्बन (organic carbon) जल कर नष्ट हो जाता है. इस कारण मिट्टी की उर्वरा-शक्ति (soil fertility) कम हो जाती है. साथ ही, मिट्टी का तापमान बढ़ने के कारण मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ (Earthworms) आदि मर जाते हैं.
फसलों का उत्पादन घटता है
उन्होंने कहा कि मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, केंचुआ आदि के मिट्टी में रहने से ही मिट्टी जीवंत कहलाता है. वहीं फसल अवषेषों को जलाने से जमीन में उपलब्ध जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, मिट्टी में नाईट्रोजन की कमी हो जाती है, जिसके कारण फसलों का उत्पादन घटता है.
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उन्होंने कहा कि मजदूरों के अभाव में खासकर पटना एवं मगध प्रमण्डल के अधिकांश जिलों के किसान धान की कटनी कम्बाईन हार्वेस्टर से करते हैं. इस तरह की कटनी के बाद धान के तने का अधिकांश भाग खेतों में ही रह जाता है. अगली फसल लगाने की जल्दी में आमतौर पर किसानों द्वारा इन फसल अवषेषों को खेतों में ही जला दिया जाता है.
पर्यावरण को काफी नुकसान
उन्होंने कहा कि एक टन फसल अवशेष को जलाने से लगभग 60 किलोग्राम कार्बन मोनोऑक्साईड, 1,460 किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साईड तथा 2 किलोग्राम सल्फर डाईऑक्साईड गैस निकलकर वातावरण में फैलता है, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचता है.
सिंह ने राज्य के किसानों से अपील किया कि फसल अवशेषों को खेतों में न जलाकर उसे मिट्टी में मिला दें या उससे वर्मी कम्पोस्ट बनायें अथवा पलवार विधि से खेती करें. ऐसा करने से मिट्टी का स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा एवं फसलों का गुणवत्तापूर्ण तथा अधिक उत्पादन होगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी.