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क्या मोदी विरोधी शक्तियां मीडिया के सवालों से बचना चाहती हैं?

पटना (TBN – वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| प्रतिकूल परिस्थितियों में किए जाने वाले प्रयास जब सार्वजनिक महत्व के हों तब वैसे प्रयासों की सफलता का निर्धारण परिस्थितियों मे छिपे द्वन्द्वों पर ही निर्भर करता है.

यह स्थिति बुधवार को तेलंगाना और बिहार के मुख्यमंत्रियों के संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में सामने आई. तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव (K Chandrashekar Rao) और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) बुधवार को मीडिया से मुखातिब थे. राव की कुमार से यह मुलाकात खास वजह से थी जिसके लिए वह तेलंगाना से बिहार आए थे. इस मुलाकात का सन्दर्भ नरेन्द्र मोदी विरोधी शक्तियों की एकजुटता का है.

मोटे तौर पर चार गैर-कांग्रेसी चेहरे मोदी विरोध के नाम पर नजर आते हैं. अरविंद केजरीवाल (दिल्ली Arvind Kejriwal), ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल Mamata Banerjee), के.चन्द्रशेखर रा़व (तेलंगाना K.Chandrasekhar Rao) और नीतीश कुमार (बिहार) अपने-अपने राज्यों के सीएम हैं तथा नीतीश कुमार को छोड़, बाकी तीनों मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री पद के दावेदार भी हैं.

ऐसे में राव का बिहार आगमन हुआ तो जाहिर सी बात थी कि दोनों मुख्यमंत्री मीडिया से भी मुखातिब होते ही. लेकिन प्रेस वार्ता में क्या-कुछ सामने आया उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि मीडिया के सवाल पर नीतीश कुमार दो बार कुर्सी छोड़ कर खड़े हो गए और राव ने उनका हाथ पकड़ कर बैठाया.

राव से पूछा गया सवाल बहुत सरल था. आप जिनके विरोध मे खड़े हैं, उनके पास पीएम के लिए एक चेहरा है. आप पीएम के लिए नीतीश कुमार का नाम प्रपोज करेंगे ?

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इसी सवाल पर नीतीश कुमार ने अपनी कुर्सी छोड़ी थी और राव ने बैठाया था. राव ने जवाब दिया, “हम प्रयास करेंगे.” मीडिया ने राव से यह सवाल किया था जो खुद इस पद के दावेदार हैं और उनको नीतीश कुमार के चेहरे पर जवाब देना था.

तो क्या यह माना जाए कि असहजता पैदा करने वाले इस सवाल का सही वक्त अभी नही है ! लेकिन प्रयास तो वही हो रहा है, इसलिए यह सवाल भी मौजूं था और सवाल से असहज होना भी उतना ही स्वाभाविक था.

दरअसल, आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष की भूमिका क्षेत्रीय स्तर की होकर रह गई है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी की भूमिका नजर नही आती और क्षेत्रीय स्तर उसका स्थान तीसरे या चौथे दर्जे का है. जैसे बिहार मे वह है सरकार मे, लेकिन संख्या बल के आधार पर वह चौथे नम्बर पर है.

मोदी विरोध की सबसे बड़ी अड़चन क्षेत्रीय स्तर पर पीएम पद की दावेदारी की है. फिलहाल यह दावेदारी किसी एक चेहरे पर तैयार होती नजर नही आ रही है. इसी को शायद राव ने प्रयास करना कहा है.