प्रधानशिक्षक बहाली परीक्षा में सभी टीइटी शिक्षकों को मौका देने की मांग
पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| प्रधानशिक्षक बहाली परीक्षा (Head Teacher Recruitment Exam) में तमाम टीइटी शिक्षकों को मौका देने की मांग पर शिक्षकों के कई समूह स्थानीय विधायकों मंत्रियों व नेता प्रतिपक्ष से मिले.
टीइटी एसटीइटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के बैनर तले पूर्वघोषित कार्यक्रम के तहत सूबे के विभिन्न जिलों से पटना पहुंचे शिक्षकों ने इस मसले पर विधायकों से अविलंब पहल का निवेदन किया है.
इस क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, भूतपुर्व सांसद शिवानंद तिवारी, लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान, राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, शालिनी मिश्रा, सिधार्थ पटेल, सुरेंद्र मेहता, राजकुमार सिंह, माले विधायक महबूब आलम, संदीप सौरभ, मनोज मंजिल ने टीइटी शिक्षकों के मसले पर पहल का आश्वासन दिया.
संघ के प्रदेश अध्यक्ष मार्कंडेय पाठक और प्रदेश प्रवक्ता अश्विनी पांडेय ने कहा कि प्रधान शिक्षक नियुक्ति हेतु बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा जारी विज्ञप्ति में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के प्रावधानों की धज्जियां उड़ा कर टीइटी उत्तीर्ण शिक्षकों को परीक्षा से वंचित करने का कुचक्र रचा जा रहा है. जबकि प्रधान शिक्षक की नियुक्ति हेतु विभागीय अधिसूचनाओं सुधार हेतु माननीय पटना उच्च न्यायालय में दायर याचिका सीडब्ल्यूजेसी- 16633/2021 में जारी अंतरिम आदेश में माननीय न्यायालय ने संघ के सदस्यों को अर्थात टीईटी उत्तीर्ण शिक्षकों को बिना शर्त परीक्षा में शामिल करने की अनुमति प्रदान की है. सरकार माननीय उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार कर टीइटी शिक्षकों की हकमारी कर रही है.
प्रधान शिक्षक बहाली को लेकर बीपीएससी के विज्ञापन
माननीय न्यायालय के आदेश के आलोक में विज्ञप्ति में अविलंब संशोधन कर टीइटी शिक्षकों को परीक्षा में बैठने दिया जाय अन्यथा शिक्षक आंदोलन को बाध्य होंगे.
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संगठन के प्रदेश कोषाध्यक्ष संजीत गुड्डु और प्रदेश मीडिया प्रभारी राहुल विकास ने कहा कि पहली अप्रैल 2010 के पश्चात शिक्षक बनने हेतु शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण होने की अनिवार्यता निर्धारित है. कानूनी तौर पर प्रधान शिक्षक नियुक्ति में भी टीईटी उत्तीर्णता की अनिवार्यता सुनिश्चित की जानी चाहिए. खुली परीक्षा में अनुभव के नाम पर शिक्षकों को शामिल होने से रोकना प्राकृतिक न्याय के विरूद्ध है.