दिल्ली लाल किला ब्लास्ट: क्या घबराहट में डॉक्टर ने किया सुसाइड अटैक? आतंक भर्ती में नया ट्रेंड उजागर
> सुरक्षा एजेंसियां जांच रही हैं पैनिक थ्योरी
> कश्मीरी डॉक्टर्स का कनेक्शन
> व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क
दिल्ली (The Bihar Now डेस्क)| दिल्ली के ऐतिहासिक रेड फोर्ट के पास हुए विस्फोट (Red Fort Blast Case) से ठीक तीन हफ्ते पहले श्रीनगर के कई इलाकों में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के समर्थन में पोस्टर्स लगे थे. जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसकी जांच शुरू की, जो उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी तक पहुंच गई. इस प्रक्रिया में आतंकवादियों की भर्ती में बड़ा बदलाव सामने आया, जिसे पुलिस ने “व्हाइट कॉलर टेरर इकोसिस्टम” (White Collar Terror Network) कहा.
कल यानि सोमवार 10 नवंबर की शाम हुए इस धमाके में नौ लोगों की मौत हो गई और 20 से ज्यादा घायल हुए. तीन कश्मीरी डॉक्टरों (Kashmiri Doctor Terror Link) – अदील अहमद राथर, मुजम्मिल शकील और उमर मोहम्मद – पर जांच (Delhi Blast Investigation) चल रही है. राथर को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से और शकील को हरियाणा के फरीदाबाद से गिरफ्तार किया गया. इनसे बम बनाने की भारी मात्रा में सामग्री बरामद हुई.
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सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक, फरीदाबाद के दो कमरों से मिली 2,900 किलो सामग्री अमोनियम नाइट्रेट (Ammonium Nitrate Blast) लगती है. शुरुआती जांच में यही रसायन रेड फोर्ट ब्लास्ट में इस्तेमाल हुआ प्रतीत होता है. यह खोज दिल्ली रेड फोर्ट विस्फोट मामले की गहराई को दर्शाती है.
शाम करीब 6:52 बजे नेताजी सुभाष मार्ग पर ट्रैफिक सिग्नल पर खड़ी सफेद हुंडई i20 कार में अचानक जोरदार धमाका हुआ. एक तरफ रेड फोर्ट है, दूसरी ओर चांदनी चौक. गवाहों ने “विशाल आग का गोला” देखा. 15 दमकल गाड़ियों ने आधे घंटे में आग पर काबू पाया.
यह घटना देश की सुरक्षा व्यवस्था में हड़कंप मचा गई. 12 घंटे के अंदर कई एजेंसियों (NIA Investigation Update) ने साजिश के तार जोड़ लिए. पुलिस ने कार का नंबर HR26CE7674 ट्रेस किया.
एक कार, जिसने बदल दिए कई हाथ
कार पहले सलमान के नाम थी, जिसने मार्च में इसे देवेंद्र को बेचा. फिर आमिर और तारिक के हाथों से गुजरकर यह डॉ. उमर मोहम्मद तक पहुंची. उमर अदील का करीबी है और पोस्टर मामले में गिरफ्तार हो चुका है.
सीसीटीवी फुटेज में धमाके से पहले उमर का चेहरा आंशिक दिखता है. पुलिस डीएनए टेस्ट करवाएगी ताकि ड्राइवर की पहचान पक्की हो. उमर ही कार चला रहा था, ऐसा माना जा रहा है.
क्या यह ‘सुसाइड ब्लास्ट’ था?
भले ही अभी तक आधिकारिक रूप से इसे आतंकी हमला नहीं कहा गया है, लेकिन पुलिस ने मामला UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत दर्ज किया है – जो आमतौर पर आतंकवाद से जुड़े मामलों में लगाया जाता है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सभी एंगल जांचे जा रहे हैं. एनआईए जांच संभाल सकती है.
जांचकर्ता देख रहे हैं कि क्या उमर ने घबराहट में सुसाइड अटैक (Suicide Attack Theory) किया. उसके साथियों की गिरफ्तारी और 2,900 किलो सामग्री जब्त होने से वह डर गया होगा. हथियार जैसे असॉल्ट राइफ्लेट और पिस्तौल भी मिले.
आतंक का नया चेहरा: पढ़े-लिखे प्रोफेशनल्स
ये तीनों डॉक्टर हैं. अदील अनंतनाग के सरकारी मेडिकल कॉलेज में काम कर चुका है, अब सहारनपुर के प्राइवेट अस्पताल में. मुजम्मिल तीन साल से अल फलाह मेडिकल सेंटर में सीनियर रेजिडेंट है. उनकी सहकर्मी डॉ. शाहीन शाहिद को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया, कार से हथियार मिले. उमर पर सुसाइड ब्लास्ट का शक है.
शिक्षित प्रोफेशनल्स की भागीदारी आतंक भर्ती में नया मोड़ दिखाती है. जम्मू-कश्मीर पुलिस के अनुसार, यह व्हाइट कॉलर ग्रुप एन्क्रिप्टेड चैनल से ब्रेनवॉश, कोऑर्डिनेशन, फंड ट्रांसफर और लॉजिस्टिक्स करता था.
पैसे प्रोफेशनल नेटवर्क से जुटाते थे, सामाजिक कार्यों के नाम पर. आरोपी लोगों को रैडिकलाइज करते, भर्ती करते, हथियार और आईईडी सामग्री जुटाते थे.
जांच में सामने आया है कि ये आरोपी एन्क्रिप्टेड चैनलों के जरिए संवाद करते थे, जहां उन्हें धार्मिक उन्माद और आतंकी विचारधारा से प्रभावित किया गया.
वे फंड जुटाने, हथियार और गोला-बारूद की सप्लाई करने के साथ-साथ नए युवाओं की भर्ती और ब्रेनवॉश का काम भी करते थे.
यह मामला सिर्फ एक धमाके की जांच नहीं, बल्कि भारत में आतंकवाद की नई रणनीति को उजागर करता है – जहां शिक्षित, पेशेवर और सामाजिक रूप से सम्मानित लोग भी इस नेटवर्क का हिस्सा बन रहे हैं. सुरक्षा एजेंसियों के लिए अब यह चुनौती है कि ऐसे ‘व्हाइट कॉलर आतंकियों’ की पहचान समय रहते कैसे की जाए.

