राबिया कांड की सीबीआई जांच कराने की मांग, महिला संगठनों ने निकाला आक्रोश मार्च
पटना (TBN – अखिलेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट)| राबिया कांड की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर शनिवार को पटना के महिला संगठनों ने आक्रोश मार्च निकाला. संगठनों ने मांग की है कि राबिया कांड में स्पीडी चला कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए. साथ ही, राबिया के परिवार के लिए न्याय, 10 लाख का मुआवजा तथा एक सदस्य को सरकारी नौकरी की भी मांग की गई.
पटना के महिला संगठनों ने राबिया के लिए न्याय की मांग पर संयुक्त रूप से शनिवार को आक्रोश मार्च निकाला. यह मार्च बुद्ध स्मृति पार्क से निकला जिसका नेतृत्व प्रोफेसर भारती एस कुमार, ऐपवा से राज्य अध्यक्ष सरोज चौबे, एडवा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामपरी, सरिता पांडेय, सुनीता सिन्हा, संगीता श्रीवास्तव, अनुराधा सिंह, बिहार महिला समाज से शाइस्ता अंजुम व इमराना, ए एस डब्ल्यू एफ से आसमा खातून व डेजी, ऑल इंडिया महिला सांस्कृतिक संगठन से अनामिका व इंदु कुमारी, मेक ए न्यू लाइफ फाउंडेशन से तबस्सुम अली व सुल्ताना, यूथ फॉर स्वराज से रागनी ऋतु, बिहार घरेलू कामगार यूनियन से शेहला, कोरस सांस्कृतिक टीम से समता राय संयुक्त रुप से कर रहीं थीं.
इसके अलावा भी दर्जनों महिलाएं व लड़कियां इस आक्रोश मार्च में शामिल थीं. मार्च से पूर्व बुद्ध स्मृति पार्क में एक सभा का आयोजन किया गया. सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि जिस नृशंस तरीके से दिल्ली जिलाधिकारी कार्यालय में सिविल डिफेंस वालिंटियर की पोस्ट पर कार्यरत राबिया की हत्या कर दी गई, यह मानवता के लिए बेहद शर्मनाक है.
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वक्ताओं ने कहा कि निजामुद्दीन नाम का व्यक्ति उसके पति होने का दावा कर रहा है. उसने राबिया के चरित्र पर शक करते हुए इस तरह नफरत भरे अंदाज में हत्या करने की जिम्मेवारी लेते हुए सरेंडर भी कर दिया है. आखिरकार सवाल यह उठता है कि केवल शक की बिना पर पति को किसी महिला की इस तरह से हत्या करने का अधिकार किसने दे दिया? वह तलाक भी ले सकता था. लेकिन औरत को अपनी जागीर समझते हुए उससे उसे सदा के लिए खत्म करना अपना अधिकार समझ कर उसकी हत्या कर दिया.
उन्होंने कहा कि राबिया के शरीर पर जितने चाकू के निशान हैं और जिस तरीके से बर्बरता की गई है इसके तार कहीं न कहीं कार्यालय में चल रहे भ्रष्टाचार और वहां पड़े छापे से भी जुड़ते हैं क्योंकि लॉकर की चाभी राबिया के पास ही रहती थी.
26 अगस्त जिस दिन राबिया गायब हुई, उसके 2 दिन ही पहले वहां वहां छापा पड़ा था. वक्ताओं ने कहा कि राबिया का कथित पति भी उसी कार्यालय में ही काम करता था. इसीलिए यह केवल उसके पति का काम नहीं है बल्कि इसमें एक सरकारी गैर सरकारी गठजोड़ काम कर रहा है, जिसकी सीबीआई से जांच होनी जरूरी है.
वक्ताओं ने कहा कि सभी महिला संगठन के लोग यह मांग करते हैं कि राबिया काण्ड की सीबीआई से जांच कराया जाए तथा स्पीडी ट्रायल चलाकर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए. राबिया के परिवार को 10 लाख मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाए.
सबने कहा कि यदि दोषियों को सजा नहीं मिली तो इस तरह से हत्यारों का मन बढ़ता चला जाएगा और बेटियां सुरक्षित नहीं रहेंगी. कामकाजी महिलाएं कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने पर डरेंगीं तथा चुप रहेंगी. इसीलिए इस जुल्म के खिलाफ जो पूरे देश में आंदोलन चल रहा है हम उसके समर्थन में आज यहां से पटना की सड़कों पर मार्च कर रहे हैं आगे अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो आंदोलन और तेज किया जाएगा.