Big Newsक्राइमफीचरसंपादकीय

भ्रष्ट आचरण से मनचाहा पाने की हद पार कर जाने वाली आईपीएस की दास्तान

पटना (TBN – अनुभव सिन्हा की रिपोर्ट)| देश के एलीट सर्विसेज को ज्वाइन करने वाले बिहार कैडर के आईपीएस आदित्य कुमार फरार (IPS Aditya Kumar) हैं. धोखे से अपने खिलाफ दर्ज मामले को डीजीपी के हस्तक्षेप से खत्म करा लेने में कामयाब रहे आदित्य का यह कारनामा खुफिया इनपुट से सामने आया और देखते ही देखते उनका खेल भी खत्म हो गया. ईओयू (Economic Offence Unit) ने अपराध में साथ देने वाले उनके चार सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया है.

आईपीएस होने के नाते भारी-भरकम दायित्व को निभाने के बजाय लापरवाही बरतने का एक मामला आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज था. तब वह गया में एसएसपी (Gaya SSP) थे और सूबे की शराब नीति (Prohibition Policy) को लागू करने में लापरवाही बरती थी. यह मामला सुर्खियों में आ गया और गया के फतेहपुर थाना (Fatehpur Police Station of Gaya) में एफआईआर (FIR) दर्ज हुई. साथ ही, एसएसपी पद से उनको हटाया भी गया.

कैरियर पर दाग लगने की चिंता ने इस आईपीएस को, झांसा देकर अपने खिलाफ मामले को खत्म करने के एक शातिर आइडिया ने आखिरकार और बुरा परिणाम भुगतने के लिए छोड़ दिया है. आदित्य अब फरार हैं और इससे उनका गुनाह और संजीदा हो गया है.

मद्य निषेध कानून का अनुपालन कराने में बिहार पुलिस की हो रही बदनामी की अगली कड़ी साबित हुए आदित्य कुमार के खिलाफ गया में एसएसपी रहते जब मामला दर्ज हो गया, तब पिछले महीने अपने मित्र अभिषेक अग्रवाल (Abhishek Agarwal) के साथ मिलकर एक साजिश रची.

इसे भी पढ़ें| लालू के खिलाफ स्क्रैप घोटाले की जांच की मांग तेज

साजिश का आपरेटिव पार्ट था डीजीपी ए के सिंहल (DGP AK Sinhal) को हड़का कर मामले को खत्म कराने का. यह साजिश आदित्य की ही थी. आईपीएस से मित्रता का गुरुर अभिषेक को था, इसलिए वह चीफ जस्टिस (Chief Justice) बनकर डीजीपी को फोन करने के लिए तैयार हो गया. यह स्पष्ट नहीं हुआ कि अभिषेक ने किस हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रुप में डीजीपी से बात की. हालांकि, हैरत इस बात की भी है जैसा कि बताया जा रहा है, अभिषेक ने डीजीपी को 40 से 50 बार बात की और डीजीपी पकड़ नहीं पाए.

ईओयू ने इस मामले में अभिषेक के अलावा बोरिंग रोड से उसके दोस्त राहुल रंजन जयसवाल (Ranjan Jaiswal) और पटना सिटी के एक मोबाइल दुकान के मालिक गौरव राज (Gaurav Raj) और उसके कर्मी राहुल (Rahul) को गिरफ्तार कर लिया है. आदित्य फरार हैं.

ऐसा मान लेना कि इस घटना से बिहार पुलिस (Bihar Police) कुछ सबक लेगी, जल्दबाजी हो सकती है. पर, जो प्रवृति सामने आई है वह समाज के हित में नहीं कही जा सकती.

पावर, हनक, पैसा के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार आदित्य और अभिषेक जैसे लोग पुलिस और व्यवसाय में बहुत हैं. निष्ठा और चौकसी के बजाय आदित्य के संरक्षण में अभिषेक ने जो गलती की, उसके लिए वह कड़ी सजा का हकदार है.