रेलवे क्लेम घोटाला: 3 वकील गिरफ्तार, ED लेगी रिमांड पर
पटना (The Bihar Now डेस्क)| पटना रेलवे क्लेम घोटाला (Patna Railway Claim Scam) मामले में 3 अधिवक्ताओं को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार अधिवक्ताओं में विद्यानंद सिंह, परमानंद सिंह और विजय कुमार शामिल हैं. इन अधिवक्ताओं को गुरुवार को पटना स्थित पीएमएलए विशेष न्यायालय (PMLA Special Court) में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें न्यायिक हिरासत (judicial custody) में भेज दिया गया.
अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय जल्द ही उन्हें रिमांड पर लेकर पूछताछ करेगा. इन अधिवक्ताओं के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act’ 2022) के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का मामला (money laundering case) दर्ज किया गया है.
दरअसल, पटना स्थित रेलवे क्लेम ट्रिब्यूनल (Railway Claims Tribunal) में मृत्यु के दावे (death claims) में एक कथित फर्जीवाड़े का मामला प्रकाश में आया था. इस मामले की आपराधिक पहलू की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) द्वारा की गई. इसके अलावा, सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के मामले की जांच प्रारंभ की.
रेलवे क्लेम घोटाला मामले में वकील विद्यानंद सिंह, परमानंद सिंह, विजय कुमार और रेलवे के कई अज्ञात लोकसेवकों के खिलाफ आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के तहत मामला दर्ज किया गया है. विभिन्न प्राथमिकी के अनुसार, रेलवे के दुर्घटना मृत्यु दावे में दावेदारों को केवल राशि का एक हिस्सा मिलता था, जबकि साजिशकर्ता (conspirator) शेष राशि को हड़पकर अपनी जेबें भर रहे थे.
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ईडी को जांच के क्रम में यह पता चला कि वकील विद्यानंद सिंह और उसकी टीम के सदस्यों, परमानंद सिन्हा तथा विजय कुमार ने 900 से अधिक मामलों में अनियमितताएं की थीं. इन मामलों में न्यायाधीश आरके मित्तल द्वारा आदेश जारी किए गए थे, जिसके तहत दावेदारों को लगभग 50 करोड़ रुपये का मुआवजा (compensation) प्रदान किया गया था.
जांच में ईडी को यह भी पता चला कि वकील विद्यानंद और उनकी टीम ने दावेदारों के नाम पर अवैध तरीके से बैंक खाते खोले थे. इन खातों का संचालन स्वयं वकील कर रहे थे जबकि दावेदारों को इसकी कोई जानकारी नहीं थी. विद्यानंद ने दावेदारों को धोखे में रखकर कागज पर उनके हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान प्राप्त कर लिए थे. इसके बाद, उन्होंने क्लेम की राशि फर्जी खातों में ट्रांसफर करवा ली या सीधे नकद निकासी कर ली.