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सुशांत सिंह मर्डर केस पर गुप्तेश्वर पांडे ने कहा, दाल में कुछ काला है

पटना (TBN – The Bihar Now डेस्क)| आज एक बार फिर से सुशांत सिंह राजपूत मर्डर केस (Sushant Singh Rajput murder case) चर्चा में है. राज्य के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे (Former DGP Gupteshwar Pandey) ने इस मामले पर मंगलवार को कहा कि मुंबई पुलिस (Mumbai Police) के व्यवहार से मुझे पहले ही लगा था कि दाल में कुछ काला है. यह कहकर गुप्तेश्वर पांडे ने एक बार फिर मुंबई पुलिस पर इस केस में ठीक ढंग से जांच न करने का आरोप लगा दिया है.

पूर्व डीजीपी ने कहा कि अब तो महाराष्ट्र में सरकार (Government Maharashtra) बदल गयी है, उम्मीद है कि सच सामने आएगा. उन्होंने कहा कि अगर मेरी टीम को पंद्रह दिन मिला होता तो इस केस पे इतने दिन तक परदा नहीं पड़ा होता.

पांडे ने आगे कहा कि मुझे आज भी ना जाने क्यों ऐसा लगता है कि CBI भी सच सामने ला पाएगी या नहीं, पर सच आना चाहिए. मैंने पहले ही चिल्ला चिल्ला कर कहा था कि मामले में कुछ गड़बड़ है.

मोर्चरी सर्वेंट ने किया दावा

बता दें, बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के ढाई साल बाद कूपर अस्पताल के मोर्चरी कर्मचारी ने जो बयान दिया है वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है. तुनिषा शर्मा सुसाइड केस के बीच बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में मोर्चरी कर्मचारी के बयान के बाद नया मोड़ आ गया है. कूपर हॉस्पिटल के मोर्चरी सर्वेंट रूपकुमार शाह (Roopkumar Shah, Mortuary Servant, Cooper Hospital, Mumbai) ने सोमवार को चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा कि एक्टर ने सुसाइड नहीं किया था बल्कि उनकी हत्या हुई थी.

मोर्चरी सर्वेंट के इस सनसनीखेज दावे के बाद तमाम फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने साजिश रचने वालों पर गुस्सा जाहिर किया, जिसमें कहा गया कि अगर कर्मचारी इतने जानकार हैं, तो डॉक्टर और उनकी डिग्री किस काम की है? एक्टर की मौत के दो साल बाद, रूपकुमार शाह ने आरोप लगाया कि सुशांत सिंह राजपूत के शरीर और गर्दन पर कई निशान थे.

सुसाइड जैसा नहीं लग रहा था – रूपकुमार

रूपकुमार शाह (Roopkumar Shah) ने बताया था कि जब अस्पताल में एक्टर Sushant Singh Rajput की बॉडी आई थी तब वह ड्यूटी पर थे. उन्होंने जब बॉडी देखी तो उन्हें गले पर हैंगिंग का मार्क दिखा लेकिन वो सुसाइड जैसा नहीं लग रहा था. उनके मुताबिक, वो ऐसा मार्क था जैसे खींचे जाने के बाद कोई तड़पता है और उससे निशान बनता है. इसके अलावा उनको पैर, हाथ और बॉडी के अलग हिस्सों में अलग-अलग तरह के निशान दिखाई दिए थे. मोर्चरी के कर्मचारी का दावा है कि एक्टर को मारने का ढंग एकमद अलग था. उन्हें वो निशान फ्रैक्चर जैसा लग रहा था.

रूपकुमार शाह ने बताया, “जब मैंने सुशांत सिंह राजपूत का शव देखा तो यह आत्महत्या का मामला नहीं लग रहा था. उनके शरीर पर चोट के निशान थे. मैं अपने सीनियर के पास गया, लेकिन उन्होंने कहा कि हम इस पर बाद में चर्चा करेंगे.”

जांच एजेंसी पूछेगी तो उन्हें भी बताऊँगा – रूपकुमार

रूप ने न्यूज एजेंसी को बताया कि “पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्या लिखना है यह डॉक्टर का काम है. उसे न्याय मिलना चाहिए. सुशांत सिंह राजपूत की तस्वीर देखकर हर कोई बता सकता है कि उनका मर्डर किया गया था. अगर जांच एजेंसी मुझे बुलाएगी तो मैं उन्हें भी बता दूंगा.”

रूप के दावों पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने कहा

रूपकुमार के दावों पर फॉरेंसिक के एक सीनियर एक्सपर्ट्स ने कहा, ‘दो साल बाद वह कह रहे हैं कि यह हत्या का मामला लगता है. अब तक वो वह कहां थे? उन्होंने यह पहले क्यों नहीं बताया? सबसे पहले, वह एक विशेषज्ञ नहीं है. शरीर चीड़-फाड़ के बिना तो एक फोरेंसिक डॉक्टर भी यह नहीं कह सकता कि अंदरूनी चोट थी या नहीं. मुझे नहीं लगता कि ये वैज्ञानिक रूप से सिद्ध होगा. व्यक्ति को यह साबित करने के लिए कुछ सबूत देने होंगे कि वह जो कह रहा है वह सच है. उन्हें जांच एजेंसियों से पहले इसका जिक्र करना चाहिए था. अगर उनके पास कोई तस्वीर या वीडियो रिकॉर्डिंग है, तो जांच एजेंसी दूसरे एक्सपर्ट्स के साथ इस मामले की पुष्टि कर सकती है.’

वहीं, दूसरे फॉरेंसिक एक्सपर्ट ने कहा, ‘यह एक सुराग हो सकता है लेकिन यह सबूत नहीं हो सकता. जो भी व्यक्ति दावा कर रहा है उसका अन्य विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए जिससे यह तय किया जा सके कि वो जो कह रहा है उसको वह समझ में आता है या नहीं.’

तीसरे एक्सपर्ट्स ने कहा, ‘अगर एक मोर्चरी कर्मचारी हत्या या आत्महत्या की पहचान कर सकता है, तो डॉक्टर और उनकी डिग्री का क्या मतलब है? डॉक्टरों को गलत दिखाना बेहद गलत है और इस तरह की चीजों को रोकने की जरूरत है.