मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामला: दिल्ली HC ने दोषी की याचिका पर CBI से मांगा जवाब

नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क) | बिहार के मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले (Muzaffarpur Shelter Home Case) में गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जबाव मांगा है. यह याचिका इस कांड में निचली कोर्ट के द्वारा घोषित एक दोषी ने दायर किया है जिसमें उसने निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी है.
दोषी विकास कुमार ने निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. गुरुवार को विकास की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई 1 अक्टूबर को तय की है. मालूम हो, इसी दिन मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न मामले के अन्य दोषियों द्वारा दायर अपील पर भी सुनवाई होनी है.
बता दें कि ब्रजेश ठाकुर, जिसे ट्रायल कोर्ट ने “सावधानीपूर्वक बनाई गई योजना” साजिश के “किंगपिन” बताया था और दिलीप कुमार वर्मा, दोनों ने निचली अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी हुई है.
गौरतलब है, ट्रायल कोर्ट ने इस मामले में इसी साल 20 जनवरी को विकास कुमार, ब्रजेश ठाकुर और दिलीप वर्मा सहित 19 लोगों को दोषी ठहराया था और उन्हें 11 फरवरी को सजा सुनाई थी. ट्रायल कोर्ट के द्वारा ब्रजेश ठाकुर को भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के अलावा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के तहत आक्रामक यौन उत्पीड़न सहित कई अपराधों का दोषी ठहराया गया था. उस पर 32.20 लाख रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया था.
अपनी अपील में, ब्रजेश ठाकुर और दिलीप वर्मा ने तर्क दिया था कि ट्रायल कोर्ट ने “जल्दबाज़ी” में पूरे की सुनवाई की थी, जो एक भारतीय होने के कारण संविधान द्वारा उन्हें दिए गए ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष ट्रायल’ के अधिकार का उल्लंघन है. ब्रजेश ठाकुर, दिलीप वर्मा और विकास कुमार के अलावा ट्रायल कोर्ट ने मुजफ्फरपुर के तत्कालीन बाल संरक्षण अधिकारी (Child Protection Officer) रवि रोशन को दोषी करार दिया था. इसके अलावा गुड्डू विजय, कुमार तिवारी, गुड्डू पटेल, किशन कुमार और रामानुज ठाकुर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.