बगहा: खुलेआम अवैध बालू खनन, मीडिया कर्मियों को धमकी
बगहा (TBN Bureau – The Bihar Now स्पेशल रिपोर्ट)| पश्चिम चंपारण ज़िला के बगहा स्थित ईको सेंसिटिव जोन में खुलेआम अवैध बालू खनन का कारोबार चालू है. नेपाल और यूपी सीमा से सटे वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Valmiki Tiger Reserve) के प्रतिबंधित क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध खनन किया रहा है.
सूत्रों के अनुसार, हर रोज यहां सैकड़ों ट्रॉली और ट्रक पर लदी बालू की खेप सीमावर्ती यूपी की ओर भेजा और बेचा जा रहा है. हैरत की बात है कि खनन माफिया और ठेकेदार इस तरह से संबंधित विभाग के नाक के नीचे ही अवैध बालू खनन कर सरकार को लाखों रुपए राजस्व की क्षति पहुंचा रहे हैं.
दरअसल बिहार के इकलौते वीटीआर जंगल समेत आस पास के रिहायशी इलाकों में इस तरह के अवैध खनन को अंजाम दिया जा रहा है जो कहीं से भी बंदोबस्त घाट नहीं हैं इनमें हरनाटांड बरवा कला और देवरिया तरुअनवा श्रीपतनगर प्रमुख हैं.
बताया जा रहा है कि भारत सरकार और बिहार सरकार द्वारा सख्त पाबंदी के आदेश पत्र जारी किए जाने के बावजूद संबंधित विभाग की मिली भगत से अवैध खनन को अंजाम दिए जाने को लेकर सदन में माले विधायक विरेंद्र गुप्ता ने सरकार को घेरा. इसके बाद विभागीय मंत्री ने सीएफ समेत खनन पदाधिकारी को यह निर्देशित करते हुए आदेश दिया कि 0 से 9 किलोमीटर जंगल से सटे इलाकों में किसी भी सूरत में खनन नहीं किया जाना है जिसको लेकर वीटीआर के सीएफ सह निदेशक हेमकांत राय ने ज़िला खनन पदाधिकारी समेत रेंज ऑफीसर आदि को सेफ्टी जोन में अवैध खनन पर रोक लगाने को कहा है.
इधर वाल्मिकी टाईगर रिजर्व जंगल समेत रिहायशी इलाकों में अवैध खनन पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रोक लगाने को लेकर एकजुटता दिखाते हुए इसको लेकर सरकार और प्रशासन से शिकायत किया है ताकि बाढ़ और कटाव के दिनों में होने वाली त्रासदी से बचाव हो सके.
बता दें कि सता के हनक में यहां अवैध खनन कर प्रतिदिन लाखों रुपए राजस्व की क्षति पहुंचाई जा रही है और खनन माफिया समेत कारोबारी मालामाल हो रहे हैं. अवैध बालू खनन में शामिल कारोबारी और खनन माफिया समाचार संकलन करने गए मीडिया कर्मियों का पीछा कर धमकाने से भी बाज़ नहीं आ रहे हैं जिससे इनके मनोबल का अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.
सवाल यह है कि आखिर इस तरह से धमकी देकर बालू खनन किस के दम पर इतने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है जिससे राजस्व और वन संपदाओं समेत पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है. इन खनन कारोबारियों को ना तो किसी प्रशासन का डर है और ना ही क्षेत्रीय लोगों की फ़िक्र.
अब देखने वाली बात यह होगी कि अपनी जिम्मेवारियों को खनन विभाग के हवाले कर वन विभाग और प्रशासन अवैध खनन के कारोबार पर रोक लगाने में कामयाब होता भी है या नहीं.