सीबीआई द्वारा हत्या के आरोप में आम्रपाली के एमडी व 6 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज
पटना / नई दिल्ली (TBN – The Bihar Now डेस्क)| केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अगस्त 2014 में बिहार के एक प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्थान के पूर्व सचिव की हत्या के मामले में आम्रपाली समूह के प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा (Anil Sharma) और छह अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज (CBI books Amrapali MD, 6 others for murder of Balika Vidyapeeth’s ex-secretary) किया है. सीबीआई ने पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) के आदेश पर हत्या की जांच का जिम्मा संभाला था.
बता दें, 2 अगस्त 2014 को, लखीसराय में बालिका विद्यापीठ (Balika Vidyapeeth, Lakhisarai) के तत्कालीन सचिव डॉ. शरद चंद्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वे विश्वविद्यालय परिसर के अंदर अपने आवास पर समाचार पत्र पढ़ रहे थे.
हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच का दिया आदेश
इस मामले की शुरुआत में स्थानीय पुलिस ने जांच की थी, लेकिन बाद में उसी साल अक्टूबर में इसे बिहार पुलिस के अपराध जांच विभाग (CID) को सौंप दिया गया था. फिर 2017 में, चंद्रा की पत्नी उषा शर्मा (Usha Sharma) ने CID के आचरण पर सवाल उठाते हुए पटना हाईकोर्ट में एक रिट याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकल सदस्यीय पीठ ने पिछले महीने इस मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया था.
बुधवार को दाखिल सीबीआई की प्राथमिकी के मुताबिक, ”यह आरोप लगाया गया है कि अगस्त 2009 में आम्रपाली समूह के प्रबंध निदेशक अनिल शर्मा ने राजेंद्र प्रसाद सिंघानिया, डॉ. प्रवीण कुमार की मदद से बालिका विद्यापीठ का भरोसा हड़प लिया था. सिन्हा, श्याम सुंदर प्रसाद और शंभु शरण सिंह और मृतक को जबरन हटाया गया और तभी से दोनों पक्षों में विवाद चल रहा था.’
सीबीआई की प्राथमिकी में यह भी आरोप लगाया गया है कि डॉ प्रवीण कुमार सिन्हा और डॉ श्याम सुंदर सिंह द्वारा संचालित एक व्यक्तिगत खाता खोलकर बालिका विद्यापीठ की आय को हड़प लिया गया था और इसलिए, मृतक शरद चंद्रा बालिका विद्यापीठ के अवैध तरीके से चल रही शिकायत कर रहा था. मृतक को नियमित रूप से धमकाया जाता था और हमला किया जाता था, उसके घर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और अतीत में फायरिंग की गई थी.
सीबीआई जांच का आदेश देते हुए, पटना हाईकोर्ट ने कहा कि सीआईडी इस मामले में स्वतंत्र, निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच करने के अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रही है.
इससे पहले अनिल शर्मा को दिसंबर 2014 में मामले में अग्रिम जमानत दी गई थी. डेवलपर अनिल शर्मा पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा में घर खरीदारों को धोखा देने का भी आरोप है और सितंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया था. वह फिलहाल मेडिकल आधार पर जमानत पर बाहर हैं.