स्वाधार गृह कांड: सबूतों के अभाव में ब्रजेश ठाकुर सहित सभी आरोपी बरी
मुजफ्फरपुर (The Bihar Now डेस्क)| मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड (Muzaffarpur Shelter Home Case) में सजा काट रहे मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर (Brajesh Thakur) और शाइस्ता परवीन उर्फ मधु (Shaista Parveen alias Madhu) और कृष्णा को विशेष एससी-एसटी कोर्ट ने स्वाधार गृह मामले में सबूतों के अभाव में बाइज्जत बरी कर दिया है. गुरुवार को कोर्ट का फैसला आने के बाद पुलिस की जांच पर सवाल उठना शुरू हो गया है.
गुरुवार को न्यायाधीश अजय कुमार मल्ल ने सुनवाई के दौरान कहा कि सबूतों की कमी के कारण सभी आरोपियों को बरी किया जाता है. इससे पहले गुरुवार को तिहाड़ जेल से ब्रजेश ठाकुर, शाइस्ता परवीन उर्फ मधु और कृष्णा को विशेष एससी एसटी कोर्ट (Special SC ST Court) में पेश किया गया. इस पेशी के दौरान भारी पुलिस सुरक्षा की व्यवस्था की गई थी. पहले से ही इस मामले में निर्णय के लिए गुरुवार की तारीख तय की गई थी. कोर्ट के फैसले के बाद ब्रजेश ठाकुर, शाइस्ता परवीन उर्फ मधु और कृष्णा को फिर से दिल्ली के तिहाड़ जेल (Tihar Jail, Delhi) भेज दिया गया है.
क्या था मामला
बता दें, स्वाधार गृह से 11 महिलाएं और चार बच्चे गायब होने का आरोप ब्रजेश ठाकुर पर लगाया गया था. ब्रजेश ठाकुर, जो मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड के आरोपी हैं और इस कांड में तिहाड़ जेल में सजा भोग रहे हैं, उनके खिलाफ शाइस्ता परवीन उर्फ मधु, कृष्णा और अन्य के खिलाफ स्वाधार गृह मामला भी चल रहा था. एससी-एसटी कोर्ट ने इसी मामले में अपना निर्णय सुनाया है.
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स्वाधार गृह में महिलाओं को रखा जाता था. अधिकतर महिलाएं भीख मांगकर अपना जीवन यापन करती थीं. उन्हें काम करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता था. भिखारियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास किया जाता था. बालिका गृह कांड के बाद राज्य सरकार ने स्वाधार गृह कांड की भी जांच शुरू कर दी थी. 11 महिलाएं और उनके चार बच्चों का कोई सुराग नहीं मिलने के बाद मामले में आखिरकार पुलिस ने कोर्ट में अपना चार्जशीट जमा कर दिया था. ब्रजेश ठाकुर पर धारा 188, 363, 366 ए, 406, 409, 420, 467, 468 120बी में आरोप पत्र दाखिल किया गया था.
हुई थीं गायब 11 महिलाएं
गौरतलब है, स्वाधार गृह से 11 महिलाओं और उनके चार बच्चों को गायब करने का आरोप ब्रजेश ठाकुर पर लगाया गया था. वह बालिका गृह कांड का आरोपी है और फिलहाल तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा भोग रहा है. उसके साथ शाइस्ता परवीन उर्फ मधु, कृष्णा और अन्य पर मामला चल रहा था. एक अन्य आरोपी, रामानुज ठाकुर, जिसकी पहले ही मृत्यु हो चुकी है, को भी कोर्ट ने बरी कर दिया है.
छह साल पहले दर्ज हुई थी प्राथमिकी
मुजफ्फरपुर जिला बाल संरक्षण इकाई के पूर्व सहायक निदेशक दिवेश शर्मा ने 30 जुलाई 2018 को नगर थाने में एक एफआईआर दर्ज कराई थी. पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि बालिका गृह की तरह ही ब्रजेश ठाकुर का एनजीओ स्वाधार गृह भी चला रहा था. एसडीओ के नेतृत्व में डीसीएलआर पूर्वी द्वारा स्वाधार गृह का निरीक्षण भी किया गया था.
पुलिसिया जांच पर उठे सवाल
सभी आरोपियों के बरी करते हुए विशेष अनुसूचित जाति-जनजाति कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस द्वारा सही तरीके से जांच नहीं की गई, जिसके कारण स्वाधार कांड के सभी आरोपियों को बरी किया गया है.
उधर, लोक अभियोजक मंगल प्रसाद ने कहा कि पुलिस ने मामले की सही तरीके से जांच नहीं की, जिसके कारण आज आरोपियों को न्यायालय ने बरी कर दिया. लोक अभियोजक ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि बालिका गृह के मामले का आरोपी ब्रजेश ठाकुर एक प्रभावशाली व्यक्ति है. उसका बाइज्जत बरी होना पुलिस की जांच पर संदेह पैदा करता है.
बताते चलें, मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर समेत 11 दोषियों को 11 फरवरी 2020 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. कोर्ट ने ठाकुर पर 32 लाख का जुर्माना भी लगाया था. अब सबों के बरी हो जाने के बाद इस मामले में पुलिस द्वारा की गई जांच और आरोपों की स्थिति पर फिर से विचार किया जाएगा.