जदयू को तोड़ने में लगी थी केन्द्र सरकार, समय पर नीतीश करेंगे नाम का उजागर
पटना (वरिष्ठ पत्रकार अनुभव सिन्हा की खास रिपोर्ट)| महागठबंधन के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister of Mahagathbandhan Nitish Kumar) के पास चार से छह ऐसे आडियो क्लिप्स हैं जो इस बात के प्रमाण हो सकते हैं कि भाजपा (BJP) उनकी पार्टी जदयू को तोड़ना चाहती थी.
दावा यह है कि बीते 9 अगस्त नीतीश कुमार ने इन आडियो क्लिप्स को पार्टी बैठक में सुनाया. उसी बैठक में भाजपा का साथ छोड़ महागठबंधन से रिश्ता जोड़ने का फैसला लिया गया जिसके बाद नीतीश कुमार ने 8वीं बार मुख्यमंत्री बनने का नया रिकार्ड कायम किया.
इन आडियो क्लिप्स में कथित तौर पर किसी एक केंद्रीय मंत्री को जदयू विधायकों को करोड़ों रुपये दिए जाने की बात सुनी जा सकती है. यही दावा है.
लेकिन मजेदार यह है कि खुद नीतीश कुमार ने ऐसा दावा नहीं किया है, बल्कि उनके हवाले से एनडीटीवी (NDTV) ने ऐसा कहा है. चैनल के मैग्सेसे पुरस्कार विजेता पत्रकार (Magsaysay Award winning journalist) ने मुख्यमंत्री से यह जानना भी चाहा कि आखिर वह (सीएम) इन आडियो क्लिप्स को कब सार्वजनिक करेंगे और वह केन्द्रीय मंत्री कौन है.
मुख्यमंत्री के हवाले से एक न्यूज चैनल के इस दावे से कई सवाल खड़े होते हैं. जबकि, इन सवालों से अलग महागठबंधन की सरकार मंत्रीमण्डल गठन और अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने मे जुटी हुई है.
महागठबंधन सरकार के पास अपार बहुमत है, बावजूद इसके हर कदम फूंक-फूंक उठाया जा रहा है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस बार न तो कोई चूक हो और न रणनीति के लिहाज से कोई कमी रह जाय.
शायद यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार आडियो क्लिप्स पर चुप्पी साधे हुए हैं तथा अनुकूल समय आने पर उसका इस्तेमाल करेंगे.
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लेकिन उनकी चुप्पी से अलग और आडियो क्लिप्स की गम्भीरता को देखते हुए कई सवाल खड़े होते हैं जिनका सरोकार सरकार और सूबे की बेहतरी से जुड़ा हुआ है तो आम लोगों के अंदर “जंगल राज” का परशेप्शन भी सीएम के ध्यान में होगा जो सीधे तौर पर उनके सुशासन की छवि से जुड़ता है.
यद्यपि, मंत्रीमण्डल गठन के बाद तरह-तरह की आशंकाओं के बीच महागठबंधन की सरकार अपना काम शुरु कर देगी, नीतीश कुमार ने अपने तेवर से यह भी स्पष्ट कर दिया है कि उनका ऐजेंडा क्या है और उसे पूरा करने के लिए वह पूरी तरह से समर्पित भी हैं. इसी बिन्दु पर उन आडियो क्लिप्स का महत्व भी स्पष्ट होता है कि नीतीश कुमार की तरकश में एक महत्वपूर्ण तुरुप का एक्का भी है.
जानकार भी इस तुरुप के एक्के की टाइमिंग को लेकर असमंजस मे हैं और कई तो इससे इत्तेफाक भी नहीं रखते हैं और इसे प्रोपेगेण्डा तक बता रहे हैं. लेकिन सवाल तो यह है कि आखिर नीतीश कुमार अपने पास रखे हुए आडियो क्लिप्स का राजनीतिक इस्तेमाल भविष्य में ही क्यों करना चाहते हैं.