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ACS डॉ. एस. सिद्धार्थ ने इस्तीफे की खबरों का किया खंडन, कहा- “कोई कारण नहीं”

> अफवाहों पर विराम: डॉ. सिद्धार्थ ने स्पष्ट किया, नहीं दिया इस्तीफा, VRS की खबरें निराधार
> नीतीश कुमार के करीबी IAS अधिकारी की सादगी और सुधारों की गूंज, राजनीतिक अटकलों पर लगी रोक
> शिक्षा विभाग में सुधार के लिए चर्चित डॉ. सिद्धार्थ, औचक निरीक्षण से रखते हैं स्कूलों पर नजर

पटना (The Bihar Now डेस्क)| बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने अपने इस्तीफे की चल रही खबरों का जोरदार खंडन किया है. मंगलवार को सुबह से कुछ मीडिया पोर्टलों पर उनके स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) और इस्तीफे की खबरें तेजी से फैलीं, जिसके बाद उन्होंने शिक्षा विभाग के आधिकारिक मीडिया ग्रुप पर स्पष्ट किया कि ऐसी कोई बात नहीं है.

डॉ. एस. सिद्धार्थ ने कहा, “मैंने इस्तीफा नहीं दिया है, और न ही इसके लिए कोई कारण है.” इस बयान ने उन सभी अटकलों पर विराम लगा दिया, जिनमें उनके विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी.

खबरों के मुताबिक, 17 जुलाई को डॉ. सिद्धार्थ द्वारा VRS के लिए आवेदन देने की बात सामने आई थी, जिसे लेकर सोमवार को सूचना जंगल की आग की तरह फैल गई. कुछ लोगों ने यह भी कयास लगाया कि वे जनता दल यूनाइटेड (JDU) के टिकट पर आगामी विधानसभा चुनाव में उतर सकते हैं.

हालांकि, इन चर्चाओं के बीच डॉ. सिद्धार्थ ने न केवल अफवाहों को खारिज किया, बल्कि विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान अधिकारियों की लॉबी में मौजूद रहकर सदन की कार्यवाही का अवलोकन भी किया. उनकी यह सक्रियता उनके कर्तव्यनिष्ठ और जिम्मेदार रवैये को दर्शाती है.

डॉ. सिद्धार्थ: बिहार के शिक्षा सुधार के नायक

1991 बैच के IAS अधिकारी डॉ. एस. सिद्धार्थ बिहार में अपनी सादगी, समर्पण और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए सुधारों के लिए व्यापक रूप से जाने जाते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले इस अधिकारी ने सरकारी स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रशासनिक सुधारों के लिए कई कदम उठाए हैं.

उनकी कार्यशैली की खासियत है स्कूलों का औचक निरीक्षण. वे अक्सर वीडियो कॉल के जरिए स्कूलों की स्थिति का जायजा लेते हैं और शिक्षकों के साथ सीधा संवाद करते हैं. उनकी इस सक्रियता ने बिहार के शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

सादगी और जिम्मेदारी का अनूठा संगम

डॉ. सिद्धार्थ न केवल एक कुशल प्रशासक हैं, बल्कि एक उत्साही पायलट भी हैं. उनकी सादगी भरी जीवनशैली और कार्य के प्रति समर्पण उन्हें बिहार के लोगों के बीच लोकप्रिय बनाता है. कई शिक्षकों का कहना है कि उनके कार्यों से प्रेरणा मिलती है और शिक्षा विभाग में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है. नवंबर में अपनी सेवानिवृत्ति से पहले वे बिहार के शिक्षा क्षेत्र को और सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.

राजनीतिक अटकलों पर लगाम

हालांकि कुछ राजनीतिक हलकों में यह चर्चा थी कि डॉ. सिद्धार्थ JDU के टिकट पर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं, लेकिन उनके स्पष्ट खंडन ने इन अटकलों को फिलहाल शांत कर दिया है. उनकी प्राथमिकता स्पष्ट है- बिहार के शिक्षा तंत्र को और बेहतर करना.