बिहार में ब्रिज गिरने का वर्ल्ड रिकॉर्ड; सीवान और सारण में फिर ढहे 6 पुल
पटना (The Bihar Now डेस्क)| बिहार में एक के बाद एक पुल धराशायी होते जा रहे हैं, मानों इनमें गिरने की कोई होड़ सी लगी है. जहां इसकी शुरुआत कोसी क्षेत्र के अररिया जिले से हुई वही सिवान ने तो मानो रिकॉर्ड ही बना दिया. सिवान और छपरा में कुल मिलाकर 2 दिन में छह पुल ज़मींदोज हो गए और यह सभी के सभी एक ही नदी पर बने थे.
पिछले दो दिनों में बिहार के सीवान और सारण में गंडक नदी पर कुल छह पुल ढह गए. गुरुवार को अधिकारियों ने कहा कि एक के बाद एक पुल ढहने की घटनाओं के लिए इंजीनियर और ठेकेदार दोषी हैं.
अधिकारियों ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा गोपालगंज और आसपास के इलाकों में फीडबैक लेने के बाद नदियों से गाद निकालने सहित कई परियोजनाएं शुरू की गईं. ऐसा लगता है कि इंजीनियरों ने इसपर ध्यान नहीं दिया और ठेकेदार भी सोये रहे. प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि संबंधित इंजीनियरों की गलती है.
उन्होंने बताया कि विशेष टीमों को मौके पर भेजा गया है और इंजीनियरों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई है.
पुनर्निर्माण की लागत संबंधित ठेकेदारों करेंगे वहन
अधिकारियों ने आगे कहा कि नए पुलों का निर्माण किया जाएगा और निर्माण की लागत संबंधित ठेकेदारों द्वारा वहन की जाएगी.
उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकतर पुल तीस साल पुराने थे और नींव बहुत गहरी नहीं थी. गाद निकालने के दौरान इनकी नींव क्षतिग्रस्त हो गई थी.
विशेष रूप से पिछले नौ दिनों में राज्य भर में अररिया, सीवान, पूर्वी चंपारण, किशनगंज और मधुबनी जिलों में पांच पुल ढह गए हैं.
पुल ढहने की पहली घटना 18 जून को अररिया में सामने आई थी. ताजा मामला मधुबनी में हुआ. मधुबनी की घटना किशनगंज जिले में एक और पुल गिरने के ठीक एक दिन बाद हुई.
22 जून को सीवान में गंडक नदी पर बना करीब 40-45 साल पुराना पुल भी गिर गया था. 23 जून को, पूर्वी चंपारण में लगभग 1.5 करोड़ रुपये की लागत वाला एक निर्माणाधीन पुल ढह गया जिसके लिए स्थानीय लोगों ने इसके निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग का आरोप लगाया.
इस महीने की शुरुआत में 18 जून को बिहार के अररिया जिले के पररिया गांव में बकरा नदी पर बना एक नवनिर्मित पुल मंगलवार को ढह गया.
अररिया के सिकहटी और कुर्साकट्टा को जोड़ने वाला पुल उद्घाटन से पहले ही बह गया.
पिछले साल जून में बिहार के वैशाली जिले में गंगा नदी पर बने एक अस्थायी पुल का एक हिस्सा तेज हवाओं में आंशिक रूप से बह गया था. यह अस्थायी पुल राघोपुर को वैशाली जिला मुख्यालय से जोड़ता था.
मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
इधर पुल ढहने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दाखिल कर बिहार सरकार को पुलों का संरचनात्मक ऑडिट कराने तथा एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि उन पुलों की पहचान की जा सके जिन्हें या तो मजबूत किया जा सकता है या जिन्हें गिराया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि बिहार में पुल गिरने की लगातार हो रही घटनाएं विनाशकारी हैं क्योंकि इससे आम लोगों का जीवन जोखिम में है. लोगों की जान बचाने के लिए न्यायालय के तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता है, क्योंकि निर्माण पूरा होने से पहले ही, निर्माणाधीन पुल लगातार ढह रहे हैं.
याचिका में उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित करने के अलावा केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मापदंडों के अनुसार पुलों की निगरानी कराने का भी अनुरोध किया गया है.