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मच्छू नदी का काला इतिहास, तब मोरबी शहर में खंभों पर लटकती मिली थीं लाशें

मोरबी / गुजरात (TBN – The Bihar Now डेस्क)| रविवार को मोरबी (Morbi Incidence) में हुए भयानक हादसे ने यहां के लोगों को फिर से एक दर्दनाक घटना की याद दिला दी. यह हादसा 1979 में मच्छू नदी के डैम टूटने से हुआ था. आइए जानते हैं कि 11 अगस्त 1979 को मोरबी शहर किस तरह श्मशान में तब्दील हो गया था.

लगातार बारिश और स्थानीय नदियों में आए बाढ़ के कारण मच्छू डैम ओवरफ्लो हो गया था. डैम ओवरफ्लो होने के बाद कुछ ही देर में पूरे मोरबी शहर में तबाही मच गई थी. 11 अगस्त 1979 को दोपहर सवा तीन बजे डैम टूट गया और 15 मिनट में ही डैम के पानी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था. देखते ही देखते मकान और इमारतें गिर गईं थी, जिससे लोगों को संभलने तक का मौका भी नहीं मिला था.

उस हादसे में 1439 लोगों की मौत हुई थी

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, डैम ओवरफ़्लो के कारण हुए उस हादसे में 1439 लोगों और 12,849 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी. बाढ़ का पानी उतरने के लोगों ने इस भयानक मंजर को देखा. इंसानों से लेकर जानवरों के शव खंभों तक पर लटके हुए थे. हादसे में पूरा शहर मलबे में तब्दील हो चुका था और चारों ओर सिर्फ लाशें नजर आ रही थीं.

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इस भीषण हादसे के कुछ दिन बाद इंदिरा गांधी ने मोरबी का दौरा किया था. वहां लाशों की दुर्गंध इतनी ज्यादा थी कि इंदिरा गांधी को नाक में रुमाल रखनी पड़ी थी. इंसानों और पशुओं की लाशें सड़ चुकी थीं. उस समय मोरबी का दौरा करने वाले नेता और राहत एवं बचाव कार्य में लगे लोग भी बीमारी का शिकार हो गए थे.

(इनपुट-न्यूज)